पृथ्वी माता पर कविता/  विजय कुमार कन्नौजे

पृथ्वी माता पर कविता/  विजय कुमार कन्नौजे

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मां की गरिमा मां ही जानें
इनकी महिमा कौन बखाने
मातृ भूमि को मेरा प्रणाम
सीना तानें जग को बचाने।।

रसातल गगन बीच बैठकर
सम भाव खुद में सहेज कर
पृथ्वी माता तुम्हें है प्रणाम
रक्षा कीजिए मां पुत्र मानकर

हीरा पन्ना और सोना खान
तेरी महिमा मां तुम ही जान
खुशबू दिए मां तुम फुलों में
मेरी पृथ्वी माता तुम्हें प्रणाम।

जन्म मृत्यु के बीच में माता
सीना तान कर तुम खड़ी है
रसातल में डुबने से बचाने तु
दीवाल बनकर बीच अड़ी हैं

मौलिक स्वरचित रचना
रचनाकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।