शत-शत आज नमन है
● डॉ. ब्रजपाल सिंह संत
देह भस्म तो उड़ जाती है, कार्य अजर-अमर है।
विष्णु चरणी, शीतलता सा, हर-हर गर्जन स्वर है
संकल्पों का शंख, विश्व को दे गया माणिक मोती ।
हिंदुस्तान बना हिंदू से, देकर गया चुनौती ।
‘श्रद्धा मर्यादा’ परिभाषा, मंगलमय तन-मन है ।
मोहन मदन मालवीय आपको शत-शत आज नमन है।
पच्चीस दिसंबर अठारह सौ इकसठ इलाहाबाद पयधार।
मात गोद अरु तात मोद, त्रिवेणी प्रभा मुदित परिवार ।
मंगलाचार नर-नारी करें, शिशु केलि करें, आमोद भरें।
अंजन आँखियन में युग दर्पण, मन में चिंतन का शोध करें।
हो गया निनादित दिग्दिगंत, आया नव परिवर्तन है।
मोहन मदन मालवीय आपको शत-शत आज नमन है ।
हर आलय में, कार्यालय में, न्यायालय में हिंदी आई।
हिंदी की चमक उठी बिंदिया, भारती भाल नव अरुणाई ।
साहित्य सम्मेलन अनुगूँज, जन-जन अंतस्तल पहुँचाई।
‘नागरी प्रचारिणी सभा’ उदित, नव रश्मि-पुंज लेकर आई।
ऊँचा उठ जाए समाज, देश, नित कहता अंतर्मन है।
मोहन मदन मालवीय आपको, शत-शत आज नमन है ।
भारतीय सनातन का प्रतीक, एक शक्ति संगठन शिक्षालय ।
स्थापित करना चाहते थे, विज्ञान, ज्ञान, कृषि विद्यालय ।
चार फरवरी उन्नीस सौ सोलह, सपना साकार हुआ।
‘काशी हिंदू विश्वविद्यालय’ मोहन यज्ञ परिपूर्ण हुआ।
जहाँ नर बन जाता नारायण, मन मोर करे नर्तन है।
मोहन मदन मालवीय आपको, शत-शत आज नमन है ।