राष्ट्रीय एकता दिवस को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है, जिनकी भारत के राजनीतिक एकीकरण में प्रमुख भूमिका थी।
हम सब भारतवासी हैं
o निरंकारदेव ‘सेवक’
हम पंजाबी, हम गुजराती, बंगाली, मदरासी हैं,
लेकिन हम इन सबसे पहले केवल भारतवासी हैं।
हम सब भारतवासी है !
हमें देश-हित, जीना मरना पुरखों ने सिखलाया है।
हम उनके बतलाये पथ पर, चलने के अभ्यासी हैं।
हम बच्चे अपने हाथों से, अपना भाग्य बनाते हैं,
हमें प्यार आपस में करना, पुरखों ने सिखलाया है,
मेहनत करके बंजर धरती से, सोना उपजाते हैं !
पत्थर को भगवान् बना दें, हम ऐसे विश्वासी हैं !
वह भाषा हम नहीं जानते, बैर-भाव सिखलाती जो,
कौन समझता नहीं, बाग में बैठी कोयल गाती जो।
जिसके अक्षर देश-प्रेम के, हम वह भाषा-भाषी है !.
एकता अमर रहें
● ताराचंद पाल ‘बेकल’
देश है अधीर रे!
अंग-अंग-पीर रे !
वक़्त की पुकार पर,
उठ जवान वीर रे !
दिग्-दिगंत स्वर रहें !
एकता अमर रहें !!
एकता अमर रहें !!
गृह कलह से क्षीण आज देश का विकास है,
कशमकश में शक्ति का सदैव दुरुपयोग है।
हैं अनेक दृष्टिकोण, लिप्त स्वार्थ-साध में,
व्यंग्य-बाण-पद्धति का हो रहा प्रयोग है।
देश की महानता,
श्रेष्ठता, प्रधानता,
प्रश्न है समक्ष आज,
कौन, कितनी जानता ?
सूत्र सब बिखर रहें !
एकता अमर रहें !!
एकता अमर रहें !!
राष्ट्र की विचारवान शक्तियां सचेत हों,
है प्रत्येक पग अनीति एकता प्रयास में ।
तोड़-फोड़, जोड़-तोड़ युक्त कामना प्रवीण,
सिद्धि प्राप्त कर रही है धर्म के लिबास में ।
बन न जाएं धूलि कण,
स्वत्व के प्रदीप्त-प्रण,
यह विभक्ति भावना,
दे न जाएं और व्रण,
चेतना प्रखर • रहें !
एकता अमर रहें !!
एकता अमर रहें !!
संगठित प्रयास से देश कीर्तिमान् हो,
आंच तक न आ सकेगी, इस धरा महान् को।
शत्रु जो छिपे हुए हैं मित्रता की आड़ में,
कर न पाएंगे अशक्त देश विधान को ।
पन्थ हो न संकरा,
यह महान् उर्वरा,
इसलिए उठो, बढ़ो!
जगमगाएंगे धरा,
हम सचेत गर रहें !
एकता अमर रहें !!
एकता अमर रहें !!
ज्योति के समान शस्य श्यामला चमक उठें,
और लौ-से पुष्प-प्राण-कीर्ति की गमक उठें।
यत्न हों सदैव ही रख यथार्थ सामने,
धर्मशील भाव से नित्य नव दमक उठें।
भव्य भाव युक्त मन,
अरु प्रत्येक संगठन,
प्रण, प्रवीण साध लें,
नव भविष्य-नींव बन,
दृष्टि लक्ष्य पर रहें!
एकता अमर रहें !!
एकता अमर रहें !!
भारत का मस्तक नहीं झुकेगा
● अटलबिहारी वाजपेयी
एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते
पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा
अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतन्त्रता
अश्रु, स्वेद, शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता
त्याग, तेज, तप बल से रक्षित यह स्वतन्त्रता
प्राणों से भी प्रियतर अपनी यह स्वतन्त्रता ।
इसे मिटाने की साज़िश करने वालों से
कह दो चिनगारी का खेल बुरा होता है।
औरों के घर आग लगाने का जो सपना
अपने ही घर में सदा खरा होता है।
अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र न खोदो
अपने पैरों आप कुल्हाड़ी नहीं चलाओ
ओ नादान पड़ोसी अपनी आँखें खोलो
आजादी अनमोल न उसका मोल लगाओ।
पर तुम क्या जानों आज़ादी क्या होती है
तुम्हें मुफ़्त में मिली न कीमत गई चुकायी
अंग्रेजों के बल पर दो टुकड़े पाये हैं।
माँ को खण्डित करते तुमको लाज न आई।
अमरीकी शस्त्रों से अपनी आज़ादी को
दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लेकर आने वाली
बरबादी से तुम बच लोगे, यह मत समझो।
जब तक गंगा की धारा, सिंधु में तपन शेष
स्वातंत्र्य समर की बेदी पर अर्पित होंगे
अगणित जीवन, यौवन अशेष ।
अमरीका क्या, संसार भले ही हो विरुद्ध
काश्मीर पर भारत का ध्वज नहीं झुकेगा,
एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।
एकता गीत
● माधव शुक्ल
मेरी जां न रहें, मेरा सर न रहें
सामां न रहें, न ये साज रहें !
फकत हिंद मेरा आजाद रहें,
मेरी माता के सर पर ताज रहें
सिख, हिंदू, मुसलमां एक रहें,
भाई-भाई-सा रस्म-रिवाज रहें !
गुरु-ग्रंथ वेद-कुरान रहें,
मेरी पूजा रहें और नमाज रहें !
मेरी जां न रहें…
मेरी टूटी मड़ैया में राज रहें,
कोई गर न दस्तंदाज रहें !
मेरी बीन के तार मिले हों सभी,
इक भीनी मधुर आवाज रहें
ये किसान मेरे खुशहाल रहें,
पूरी हो फसल सुख-साज रहें !
मेरे बच्चे वतन पे निसार रहें,
मेरी माँ-बहनों की लाज रहें !
मेरी जां न हो….
मेरी गायें रहें, मेरे बैल रहें
घर-घर में भरा सब नाज रहें !
घी-दूध की नदियां बहती रहें,
हरष आनंद स्वराज रहें !
माधों की है चाह, खुदा की कसम,
मेरे बादे बफात ये बाज रहें !
खादी का कफन हो मझ पे पड़ा,
‘वंदेमातरम्’ अलफाज रहें !
कोई गैर नहीं
कोई नहीं है गैर !
बाबा! कोई नहीं है गैर !
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
देख सभी हैं भाई-भाई
भारतमाता सब की ताई,
मत रख मन में बैर !
बाबा! कोई नहीं है गैर !
भारत के सब रहने वाले,
कैसे गोरे, कैसे काले ?
हिंदू-मुस्लिम झगड़े पाले,
पड़ गए जिससे जान के लाले,
काहे का यह बैर !
बाबा! कोई नहीं है गैर !
राम समझ, रहमान समझ लें,
धर्म समझ, ईमान समझ लें,
मसजिद कैसी, मंदिर कैसा ?
ईश्वर का स्थान समझ लें,
कर दोनों की सैर !
बाबा ! कोई नहीं है गैर !
सोचेगा किस पन में बाबा !
क्यों बैठा है वन में बाबा !
खाक मली क्यों तन में बाबा !
ढूँढ़ लें उसको मन में बाबा !
माँग सभी की खैर !
बाबा! कोई नहीं है गैर !
‘कोई नहीं है गैर !
बाबा ! कोई नहीं है गैर !
भू को करो प्रणाम
जगदीश वाजपेयी
बहुत नमन कर चुके गगन को, भू को करो प्रणाम !
भाइयों, भू को करो प्रणाम !
नभ में बैठे हुए देवता पूजा ही लेते हैं,
बदले में निष्क्रिय मानव को भाग्यवाद देते हैं।
निर्भर करना छोड़ नियति पर, श्रम को करो सलाम।
साथियों, श्रम को करो सलाम !
देवालय यह भूमि कि जिसका कण-कण चंदन-सा है,
शस्य – श्यामला वसुधा, जिसका पग-पग नंदन-सा है।
श्रम- सीकर बरसाओ इस पर, देगी सुफल ललाम,
बन्धुओं, देगी सुफल ललाम !
जोतो, बोओ, सींचो, मेहनत करके इसे निराओ,
ईति, भीति, दैवी विपदा, रोगों से इसे बचाओ।
अन्य देवता छोड़ धरा को ही पूजो निशि-याम,
किसानों, पूजो आठों याम !.
आओ हम बुनियाद रखे आजाद हिन्दुस्तान की
मोहम्मद अलीम
आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की |
आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की |
चारो ओर फैला प्रदूषण, भारत माता कराह रही |
स्वच्छ भारत अभियान चला,नदियों में भी राह नही |
प्रकृति से करते खिलवाड़, मन में अब उत्साह नही |
इस धरा को स्वर्ग बनाने, जय बोलो युवा संतान की |
आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की |
आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की |
चारो ओर आतंक मचा है, दुश्मन गोली बरसाते है |
भारत माँ के वीर सपूत, सीने पर गोली खाते हैं |
दोस्ती का हाथ बढ़ाकर,शत्रु को भी अपनाते हैं |
बहुत वीरगांथाए हैं, जय बोलो बलिदान की |
आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की |
आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की |
अणु -परमाणु बना रहे, बना रहे मिसाइल हैं |
इंटरनेट का जाल बिछा,तरंगो से सब घायल हैं |
रासायनिक उर्वरको का, प्रयोग करते जाहिल हैं |
सुधार प्रक्रिया अपनाने को, जय बोलो विज्ञान की |
आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की |
आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की |
राजनीति के गलियारो में, अच्छे नेताओ का टोटा है |
भ्रष्टाचार मचा हुआ है, हमारा सिक्का खोटा है |
गरीब मजदूरों के पास, न थाली न लोटा है |
हिन्दू मुस्लिम भाई -भाई, जय बोलो इंसान की |
आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की |
आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की |
शिक्षा व्यवस्था चौपट सब,स्कूल में कौन पढ़ाते है |
निजी विद्यालय को देखो , शुल्क रोज बढ़ाते है |
ट्यूशन और फरमानो से, बच्चे बोझ से दब जाते हैं |
शिक्षा में गुणवत्ता लाने, जय बोलो शिक्षा मितान की |
आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की |
आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की |
हाहाकार मचा हुआ है,देख हिमालय की घाटी में |
वीर सपूत लोहा लेते हैं, रक्त सिंचते है माटी में |
अर्थव्यवस्था बिगाड़ रहे,यही शत्रु की परिपाटी में |
आतंकियो को मार भगाने , जय बोलो जवान की |
आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की |
आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की |
भारत महान बना जायें
नेमलता पटेल नम्रता ,रायगढ़, छत्तीसगढ़
एकता अखण्डता से बना हमारा संविधान है,
जो गौरव बढ़ाता विदेशो में भी भारत का शान है।
नन्हीं – नन्हीं चीटियाँ मिलकर भार उठा लेती है,
वर्षा की नन्हीं बूंदे मिलकर सागर बन जाती है।
एक – एक पेड़ से ही जंगल बनते है,
मिलकर वातावरण शुद्ध करते है।
एकता में ही शक्ति है आज हम सब भी मान लें,
मिलकर ही काज सफल होंगे ये आज जान लें।
तुझे समझ नहीं है कि तूने क्या खोया है,
एकता छोड़कर अपने राहों में काँटे बोया है।
चलो टूटे परिवारों को जोड़कर रूठे साथियों को मना लें,
छोटे – छोटे फूलों को चुनकर बगिया अपनी सजा लें।
भाईचारे की भावना से वतन महका जायें,
संरक्षण कर वन्य जीवों का चमन चहका जायें।
इस अमूल्य मानव जीवन का मोल चुका जायें,
एकता के बीज बोकर भारत महान बना जायें।
भारत की आन
रोमी जायसवाल
भारत की आन…..
समस्त भारतीय मनाते सम्मान।
भारत की आन…..
निज स्वत्व में ,स्वाधीनता का महत्व।
लेकर तिरंगे की,हृदय मे मान।
भारत की आन…..
राष्ट्रीय एकता,मानो धर्मनिरपेक्षता।
वेदों की वाणी,ऋषियों की जुबानी।
धर्म सार का बढ़ता जिससे ज्ञान।
भारत की आन….
शहीदों की शहादत से सींचा,बचाने वसुधा की मान,
श्रद्धा सुमन अर्पण कर,करते नमन प्रणाम।
भारत की आन…..
15अगस्त का दिवस पावन, क्षण बहुत महान,
हो राष्ट्रीय एकता सदभावना से,ध्वजवंदन कर गाते राष्ट्र गान।
भारत की आन…..
आओ मनाये मिलकर,संकल्पित हो राष्ट्रीय एकता का निर्माण,
सार्वभौमिकता अखंडता भाव से,मनाये महापर्व स्वतंत्रता दिवस महान,
कम न हो कभी देश की आन,बान,शान।
भारत की आन…….
हम सब एक परिवार हैं
गुलाब ठाकुर
राष्ट्र निर्माण के लिए , भारतीय पुत तैयार हैं ।
एकता के साथ खड़े हैं , हम सब एक परिवार हैं ।।
ना मेरा – ना तेरा , भारत हमारा है ।
वसुदेव कुटुंबकम से , परिवार विश्व सारा है ।।
भारत माता के गले में , सुंदर एक माला है ।
हिंदू , मुस्लिम , सिख , इसाई , चुन-चुन कर पुष्प डाला है ।।
एक धागे में पिरो कर , सबको एक करना है ।
चाहे कितना भी संकट आए , फिर क्यों उनसे डरना है ।।
अमीर गरीब का भेद हटे , ना कोई अत्याचार हो ।
ऐसा कुछ प्रबंध करें , पूरा भारत परिवार ।।
राष्ट्रीय एकता
*सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”*
ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री
तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ. ग.) पिन- 493558
ये स्वतंत्रता वीर भगतसिंह,चंद्रशेखर,सुभाषचन्द्र की निशानी है।
साढ़े तीन सौ सालों के संघर्ष,बलिदान की कहती कहानी है।
स्वतंत्रता का पर्व,नील गगन में लहराता अपना तिरंगा।
धर्मनिरपेक्ष संप्रभु,गणतंत्रात्मक,स्वतंत्र भारत की निशानी है।1।
तिरंगे की आन,बान,शान में कितने शीश कटाये हैं।
माँ भारती की रक्षा खातिर,सीने में कितने गोली खाये हैं।
हुआ है लतपथ जमीं माँ तेरे लालों के खून लाल से।
हँसकर सूली चढ़े,वीर योद्धाओं ने इंकलाब,वंदेमातरम गाये हैं।2।
भगतसिंह,सुखदेव,राजगुरु झूल गए फाँसी भारत स्वतंत्र कराने को।
रानी लक्ष्मीबाई ने तलवार उठाई माँ भारती का गौरव बढ़ाने को।
शहीद हुए माँ भारती के लाखों लाल, देश से दुश्मन भगाने को।
ऊंचे गगन में तिरंगा फहरता रहे,हमें देशभक्ति का फर्ज बताने को।3।
राष्ट्रीय एकता
स्नेहलता “स्नेह”सीतापुर, अम्बिकापुर (छ. ग.)
राष्ट्रीय एकता,चारों दिशा में,
खुली सबा में,सारे जहां में
जश्ने आज़ादी है,तिरंगा लहराया
वंदेमातरम्
गूंजे वतन में गूंजे चमन में
गूंजे फिजाओं में
जग-गण-मण का गायन
करें हिंदू मुस्लिम सारे
पूरब,पश्चिचम,उत्तर
दक्षिण तक गगन हमारे
एकता बाना है,भेद मिटाना है
वंदेमातरम्…….
धरती माँ की संतानें सब
धरती माँ को प्यारी
हिंदू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई
धरती की फुलवारी
सींचकर शोणित से, जान लुटाना है
वंदेमातरम्……..
भारत सोने की चिड़िया है
राम-कृष्ण की भूमि
उसका जीवन पावन जिसने
भारत माटी चूमी
हाथ ले रजकण को ,माथ लगाना है
वंदेमातरम्…..
राष्ट्रीय एकता
-गुलशन खम्हारी “प्रद्युम्न” रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
आजादी का जोत जलाने जला कोई पतंगा है,
मस्त-मस्त मदमस्त मता आज मतंगा है ।
यशस्वी यशगुंजित यशगान से,
पुनीत पुनीत पुलकित पंकज पुमंगा है ।।
निश्चय श्वेत रंग से अंग-अंग श्वेत अंगा है,
देशभक्ति रक्त मांगती रक्तिम अब उमंगा है ।
जागरण हो आचरण में तो,
भीष्म जन्मती फिर से पावन गंगा है ।।
दूध पिलाए सर्पों से देखो कितने सुरंगा है,
वेदना आह अथाह से गुंजित आकाशगंगा है ।
बंद करो मातम के सात सुरों को,
पदचाप नृत्य में झूमे नवल अनंगा है ।।
जयचंदों के जग में विप्लव कहीं पर दंगा है,
अपनों से छला है सीना लाल रक्त रंगा है ।
प्रहलाद आह्लादित होगा,
हिरण्याक्ष को अवतार प्रभु नरसिंगा है ।।
धर्मांधता के लालच में मचा हुआ हुड़दंगा है,
धर्म बेचता पाखंड बाजार बीच में अधनंगा है ।
पुण्यकर्म है देशप्रेम,रज-रज में साधु संत सत्संगा है ।।
और मॉं भारती के जयघोष से बजा मृदंगा है,
सतरंगी चुनर में श्रृंगार इंद्रधनुषी सतरंगा है ।
यौवन तीव्र तेज प्रताप से,
लहर-लहर-लहराता शान तिरंगा है ।।
राष्ट्रीय एकता
डॉ. वंदना सिंह
आज फिर फिजाओं में गूंजेगा आजादी का तराना ,
आज फिर हर कोईबन जाएगा देश भक्त दीवाना आज फिर बिक जायेंगे
बहुत सारे झंडे तिरंगे
और लोग कहलाएंगे देशभक्तचेहरे पर स्टीकर चिपका कर
और देह को टैटू से रंग के ।
आज फिर एक बार
सेना इस ठंड में राजपथपर दमखम दिखलाएगी
और हम देखेंगे टीवी पर
गणतंत्र दिवस का उत्सव
अपनी रजाईयों में दुबके
और फिर कल फेंक झंडे को
हम आगे बढ़ जाएंगे ।
फिर बन जाएंगे हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई ,दलित सवर्ण
ना इंडियन रह जाएंगे
कल फिर से खेलेंगे
खेल नफरत का
टुकड़ों में बंट जाएंगे ।
फिर से करेंगे कृत्य
देश को शर्मिंदा करने वाले
कहीं पर्यटकों से बदसलूकी
कहीं दिखाएंगे कानून को ठेंगा गणतंत्र की धज्जियां उड़ाएंगे
फिर क्यों हो यह हंगामा ?
क्यों यह शोर हो ?
अगर सच में करो ,
गणतंत्र का सम्मान
भारत दुनियां में सिरमौर हो ।।
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