भगतसिंह बलिदान दिवस पर कविता: इस दिन को बेहद विचित्र दिन के रूप में याद किया जाता है। वहीं 23 मार्च को भगत सिंह (भगत सिंह), राजगुरु (राजगुरु) और सुखदेव (सुखदेव) को फाँसी दे दी गई थी। इसलिए 23 मार्च को अमर शहीद के बलिदान को याद करके शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन इन शहीद को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दी जाती हैं
o आचार्य मायाराम ‘पतंग”
जो जन्म भू पर हो गया बलिदान बंधुओ !
अंत:करण स कीजिए सम्मान बंधुओ !!
तेईस वर्ष की उम्र का वह नौजवान था।
था वीरता की मूर्ति वह भारत की शान था।
सबके लिए थी प्रेरणा जन-जन का प्राण था ।
गौरव समस्त देश का साहस की खान था ।
सरदार भगत सिंह था युग मान बंधुओ !
अंतः करण से कीजिए सम्मान बंधुओ !!
बम तो प्रतीक मात्र था, मन की मशाल का ।
आकंठ देशप्रेम के उठते उबाल का ।
भीतर धधकती क्रांति की उस उग्र ज्वाल का ।
वह था जवाब सामयिक जलते सवाल का ।
मिल-जुल शहीद का करें यशगान बंधुओ!
अंत:करण से कीजिए सम्मान बंधुओ !!
भागा नहीं वह सिंह-सा जमकर यों खड़ा था ।
पर्वत किसी तूफान के आगे ज्यों अड़ा था।
हँस के जवान मौत के सीने पे चढ़ा था।
माँ के मुकुट में कीमती मोती-सा जड़ा था।
मलयज भी उसका कर रहा गुणगान बंधुओ !
अंतःकरण से कीजिए सम्मान बंधुओ !!
फाँसी का फंदा चूमके, चंदा से जा मिला।
बगिया धरा की छोड़ के आकाश में खिला ।
हँस के परंतु कह गया मुझको नहीं गिला ।
बलिदान मातृभूमि हित जनमों का सिलसिला
भारत महान् पर हमें अभिमान बंधुओ !
अंत:करण से कीजिए सम्मान बंधुओ !!