भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1951), वे डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय थे उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चला
14 अप्रैल डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती पर कविता
बाबा तुमको कोटि नमन
सबको जीवन दान दिया है, बाबा तुमको कोटि नमन ।
तूने मरुथल हरित किया है बाबा तुमको कोटि नमन ।।
बन मेहमान एक दल आया, उसने सब छीना हथियाया ।
सब कुछ वापस छीन लिया है, बाबा तुमको कोटि नमन ॥
जीवन की परतों में जाकर, सच्चाई को सम्मुख लाकर ।
तूने हिया बुलंद किया है, बाबा तुमको कोटि नमन ।।
सबने तुझको ही उलझाया, लाख भ्रमों का जाल बिछाया।
जाल काट उन्मुक्त किया है, बाबा तुमको कोटि नमन ।।
बौद्ध धम्म का दीप जलाकर, विषम भेद दीवार गिराकर ।
सबको समता भाव दिया है, बाबा तुमको कोटि नमन ।।
हम सबकी आवाज थे बाबा मंजिल का आगाज थे बाबा ।
हमने ‘सुमन’ पीयूष पिया है, बाबा तुमको कोटि नमन ॥
एकता का बिगुल
● राम चरण सिंह ‘साथी’
आदमी के साथ होता पशुओं सा बरताव
भारत में जाने ऐसे कितने रिवाज थे।
छुआछूत, ऊँच-नीच, जात-पाँत, भेद-भाव,
टुकड़ों-ही-टुकड़ों में बिखरे समाज थे।
कितने ही दंश झेले बाबा भीमरावजी ने,
प्यार और पैसा हर चीज को मोहताज थे।
भारतीय संविधान लिख के हुए महान्
शोणित, दलित व गरीब की आवाज थे।
गहरी नींद सोने वालों सर्वस्व खोने वालों
जागो जागो तुमको जगाया बाबा भीम ने ।
अँधेरा भी दूर होगा, सवेरा जरूर होगा,
यही दस्तूर बतलाया बाबा भीम ने ।
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो बुलंदी पे नित्य चढ़ो,
बार-बार यही समझाया बाबा भीम ने ।
एकता में ही छुपा है शक्ति का मूल मंत्र,
एकता का बिगुल बजाया बाबा भीम ने ॥