विजयादशमी पर कविता

देशभर में दशहरे (Dussehra) के त्योहार पर रावण का पुतला दहन करने की परंपरा है. विजयादशमी के दिन भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी. नौ दिन की नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है और दशहरे से 21वें दिन पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है.

हे राम तुम्हारी महिमा

o आचार्य मायाराम ‘पतंग’

हे राम ! तुम्हारी महिमा को गाते-गाते ऋषि-मुनि हारे ।

तप किए हजारों वर्ष अनेकों शास्त्र ग्रंथ भी रच डारे ।।

नारद, शारद और शेष सतत महिमा कल्पों से गाते हैं।

रटकर रत्नाकर नाम राम का, वाल्मीकि बन जाते हैं ।

फिर ऐसी रामायण रचते जो मन को शीतलता देती ।

सबको आदर्श दिखाती है पर नहीं किसी से कुछ लेती ॥

है धन्य गिरा लेखनी सफल जो रामनाम के मतवाले ।

हे राम तुम्हारी महिमा को गाते-गाते ऋषि-मुनि हारे ।

आदर्श पुत्र, माता, भ्राता आदर्श पति-पत्नी ऐसे ।

आदर्श मित्र, आदर्श शत्रु, राजा आदर्श बने कैसे

आदर्श सभी व्यवहार बनें जग को ऐसा पथ दिखलाया ।

युग-युग तक याद रहें ऐसा वह राम-राज्य सबको भाया ॥

अपने जीवन की एक झलक दें, हे राम दयाकर दिखला दो ।

हे राम तुम्हारी महिमा को गाते-गाते ऋषि-मुनि हारे ।

मुनियों के यज्ञों की रक्षा, कर में लेकर शर-चाप करी ।

शापित उस शिला अहिल्या को, छूकर चरणों से मुक्त करी ॥

र-दूषण खर- त्रिशिरा बालि वधे यूँ निशाचरों का नाश किया।

ऋषियों के आश्रम घूम-घूमकर मनचाहा संतोष दिया ।।

शबरी के जूठे बेर चखे, फिर क्या संदेश दिया प्यारे ।

हे राम तुम्हारी महिमा को गाते-गाते ऋषि-मुनि हारे ।

हनुमत सुग्रीव नील नल से, लाखों वानर एकत्र किए।

जो राम नाम के लिए लड़े, जो राम नाम के लिए जिए ॥

रावण कुल का संहार किया, संस्कृति की सिया बचाने को ।

लंकेश विभीषण बना दिया, भक्तों का मन समझाने को ।

मिटता है आखिर अहंकार, जाते शरणागत सब तारे ।

हे राम तुम्हारी महिमा को गाते-गाते ऋषि-मुनि हारे ।

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