प्रलय / रमेश कुमार सोनी

प्रलय / रमेश कुमार सोनी

Hindi Poem Collection on Kavita Bahar

दिख ही जाता है प्रलय ज़िंदगी में
दुर्घटना में पूरे परिवार के उजड़ जाने से,
बाढ़,सूनामी,चक्रवात से और
किसी सदस्य के घर नहीं लौटने से
प्रलय की आँखों में ऑंखें डालकर
कौन कहेगा कि नहीं डरता तुझसे।

आख़िरी क्षण होगा जब हम नहीं होंगे
चिंता,फिक्र और तमाम सोच के
उस पार होगी तो सिर्फ चिरनिद्रा
ना भूख होगी ना सपने और ना ही उम्मीदें।

प्रलय के रुपों में हैं-
युद्ध का भयाक्रांत शोर
चक्रवात,सूनामी और भूकम्प के ताण्डव संग
सृष्टि के संहार का बवंडर
इंसानी करतूतें बुलाती हैं इसे क्योंकि वह
प्रदूषण का कम्बल ओढ़े बेफ़िक्र है।

प्रलय की भाषा अलग है लेकिन
सब कुछ निगलकर भी ये डकार नहीं लेता
प्रकृति के संहार का ये तरीका पुराना है
विज्ञान इसे पढ़ नहीं पा रहा
इतरा रहे हैं लोग भोगवादी दुनिया में
प्रलय के साथ सेल्फी लेने तत्पर हैं लोग!
किसे भेजेंगे,कौन लाइक करेगा?

प्रलय आरम्भ भी है नयी दुनिया का
शास्त्रों में वर्णित हैं ये घटनाएँ
जिसका आरम्भ है उसका अंत भी निश्चित है
आइए वर्तमान को मुस्कुराते हुए जी लें
सर्वे भवन्तु सुखिनः…के संकल्प से।
……
रमेश कुमार सोनी
रायपुर,छत्तीसगढ़

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