CLICK & SUPPORT

प्रीत की रीत

प्रीत की रीत

चंद्र गगन में आधा हो ,
प्रिय से मिलन का वादा हो ,
बनता है इक गीत|
निस दिन अंखियां बरसी हो ,
पिया मिलन को तरसीं हों
बढ़ती है तब प्रीत|
जब सारी रस्में निभानीं हो,
छोटी जिंदगानीं हो,
सजती है तब  प्रीत की रीत|
सपनें देखें संग संग में ,
प्यार पले दोनों मन में ,
बनते तब वे सच्चे मीत|
दिल से दिल का मिलन हो ,
खुशियों का आंगन हो,
जीवन बन जाता  संगीत |

कुमुद श्रीवास्तव वर्मा.

CLICK & SUPPORT

You might also like