प्रश्न है अब आन का
हर प्रगति के मूल में स्थान है विज्ञान का।
खोज करता नित्य जो उपयोग करके ज्ञान का।1
रात दिन वो जूझते भारत कभी पीछे न हो।
देश जे हित काम करके ध्यान रखते मान का।2
टोलियाँ वैज्ञानिकों की खोज करतीं नित नयी।
राष्ट्र करता है प्रशंसा उनके नए अवदान का।3
भूलकर परिवार जो बस हिंद सेवा में जुटें।
उन सपूतों को यहाँ अधिकार है सम्मान का।4
चन्द्र पर भेजा नया इक यान कितने जोश से।
गाड़ पाया ध्वज नहीं जो था निशानी शान का।5
हारना हिम्मत नहीं तूफान में डटना सदा।
लौट आएगा समय फिर से सफल अभियान का।6
भक्त भारत के खड़े वैज्ञानिकों के संग में।
जान जी से फिर जुटेंगे प्रश्न है अब आन का।7
प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 08 सितंबर 2019
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद
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