पशु-पक्षियों की करुण पुकार

पशु-पक्षियों की करुण पुकार

पशु-पक्षियों की करुण पुकार

पशु-पक्षियों की करुण पुकार

➖➖➖➖➖➖
रचनाकार-महदीप जंघेल
विधा- कविता

हे मानव!
अपने स्वार्थ के लिए,
हमें मारते हो क्यों?
पर्यावरण का संतुलन
बिगाड़ते हो क्यों?

हमसे ही तो है,अस्तित्व
धरती और जंगल का।
जीते हो खुशियों भरा जीवन
करते कामना तुम्हारे मंगल का।
जीना तो हम भी चाहते है,
हमें भी बेफिक्र होकर जीने दो।
हे मानव!
अपने स्वार्थ के लिए,
हमें मारते हो क्यों?

छीन लेते हो ,हमारी सारी खुशियाँ,
उजाड़ देते हो ,हमारी प्यारी सी दुनियाँ।
बच्चे हमारे हो जाते है अनाथ,
दया नही आती, न आती तुम्हे लाज।
जीवन उस ईश्वर ने दिया हमें,
तो,तुम उसे उजाड़ते हो क्यों?
हे मानव !
अपने स्वार्थ के लिए,
हमें मारते हो क्यों?

ईश्वर ने दिया तुम्हे ज्ञान,
सृष्टि में है तुम्हारी पहचान
थोड़ा रहम ,हम पर भी कर दो,
बढ़े हमारा मान सम्मान।
पर्यावरण की सुरक्षा,
हम सबकी है जिम्मेदारी,
फिर अपनी शक्ति का प्रयोग,
हम पर करते हो क्यों?
हे मानव!
अपने स्वार्थ के लिए,
हमें मारते हो क्यों?

मूक प्राणी है हम,
कि कुछ बोल नही पाते।
बेबसी और लाचारी ऐसी ,
कि कुछ तोल नही पाते।
स्वार्थ और लोभ में हो चूका तू अँधा,
हमारा शिकार बना लिया तूने धंधा।
हे मानव!
तू इतना बेरहम है क्यों?
अपने स्वार्थ के लिए,
हमें मारते हो क्यों?
अपने स्वार्थ के लिए……….

(पशु -पक्षी भी पर्यावरण का अभिन्न अंग है।उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।अतःउनसे प्रेम करे।)
✍️महदीप जंघेल ,खमतराई ,खैरागढ़

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *