सनातन धर्म पर कविता
देश को देखकर आगे बढ़े
सनातनधर्म हिन्दी भारतवर्ष महानके लिये।
देश को देखकर आगे बढ़े उत्थान के लिये।
स्वदेश की रक्षा में जन-जन रहे तत्पर।
सदभाव विश्वबंधुत्व का हो भाव परस्पर।
काम क्रोध मोह लोभ मिटे दम्भ व मत्सर।
रहे सब कोई एकत्व समता में अग्रशर।
उद्धत रहे पल-पल प्रभु गुणगान के लिये।
देश को देखकर आगे बढ़े उत्थान के लिये।
बाल विवाह बन्द युवा विधवा विवाह हो।
दहेज दुष्परिणाम का विध्वंस आह हो।
मिल-बांटकर खानेकी जन मन में चाह हो।
सर्वत्र मानव धर्म मानवता की राह हो।
जागरूक रहें नेकी धर्म दान के लिये।
देश को देखकर आगे बढ़े उत्थान के लिये।
गोबध शराब नशा अविलम्ब बन्द हो।
महंगाई बेरोजगारी का रफ्तार मंद हो।
देश द्रोही दुराचारी नहीं स्वछन्द हो।
परोपकार प्यारका सफल वसुधापर गंध हो।
अबला अनाथ दीन दुखी मुस्कान के लिये।
देश को देखकर आगे बढ़े उत्थान के लिये।
चोरी घूसखोरी भ्रष्ट नेताओं का नाश हो।
सुख शान्ति सफलतका सर्वत्र विकास हो।
साक्षरता सुशिक्षा का घर-घर प्रकाश हो।
परोपकार प्रभु भक्ति की तीव्र प्यास हो।
कवि बाबूराम सत्य शुभ अभियान के लिये।
देश को देखकर आगे बढ़े उत्थान के लिये।
बाबूराम सिंह कवि,गोपालगंज,बिहार