चल स्कूल जाबो / अकिल खान

             चल स्कूल जाबो

चल स्कूल जाबो / अकिल खान



शिक्षा के बीना,जिनगी हर नरक बरोबर हे,
ज्ञान के मंदिर स्कूल,हमर सबके धरोहर हे।
मन के मन मस्तिष्क मा,स्कूल के तस्वीर हे,
पुस्तक के हर एक पन्ना मा,अपन तकदीर हे।
पढ़ लिख के एक दिन कामयाब हो जाबो,
जिनगी ला गढ़े बर संगी,चल स्कूल जाबो।

समाज मा मनखे मन के,कैसे हे भेदभाव?
शिक्षा के उजियारा मा,लाबो हमन बदलाव।
स्कूल मा पढ़ लिखके,इतिहास ला गढ़ही।
नोनी-बाबू मन पढ़ाई कर,आघू ला बढ़ही,
बाल-बिहा,दहेज प्रथा,संगी हमन भगाबो,
जिनगी ला गढ़े बर संगी,चल स्कूल जाबो।

गुरू के आशीर्वाद ले,जिनगी हर सुधर जाही,
नही त शिक्षा के अभाव मा,संगी आही तबाही।
मां-बाप अऊ गुरू-सेवा,के संग पढ़ाई कर,
मेहनत और लगन से किस्मत ले,लड़ाई कर।
युवा ला जगाबो,’शुघ्घर छत्तीसगढ़ बनाबो’,
जिनगी ला गढे़ बर संगी,चल स्कूल जाबो।

खेलकूद के साथ-साथ,पढ़ाई ला करबो,
अच्छाई के साथ देकर हमन,नेक बनबो।
छत्तीसगढ़ के माटी मा,अब नी होए दंगा
ठाठ-बाट से लहराबो,हमन अब तिरंगा।
बस्तर,सरगुजा,राजनांदगांव अऊ रायगढ़,
शिक्षा के अलख मा,कोई नी रहें अनपढ़।
महानदी,इंद्रावती,अरपा ला करबो जतन,
हसदेव,केलो,पैरी सब्बो हे अनमोल रतन।
सर्वधर्म तीर्थ-स्थल,के गुणगान ला गाबो,
जिनगी ला गढे़ बर संगी,चल स्कूल जाबो।

‘संत गुरू घासीदास’,के भुंईयाँ ला चमकाना हे,
‘पंडीत सुंदरलाल’,के सपना ला आघू बढ़ाना है।
जी-जंतु,जंगल के रखवाला हें,हमर आदिवासी,
पृथ्वी अऊ संस्कृति के रक्षक हें,हमर वनवासी।
‘छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़ीया’ हर,होही साकार,
कहत हे ‘अकिल’,सब्बो शिक्षा के करव प्रचार।
ए राज्य के मान ला,संगी सबोअंग बढ़ाबो,
जिनगी ला गढे़ बर संगी,चल स्कूल जाबो।


अकिल खान.
सदस्य,प्रचारक ‘कविता बहार’ जिला-रायगढ़ (छ.ग.).