सेवा पर कविता

सेवा पर कविता – मानक छत्तीसगढ़िया

सेवा पर कविता
HINDI KAVITA || हिंदी कविता

ठंडी में गरीब को कपड़े दे दो,
गर्मी में प्यासे को पानी।
हर मौसम असहाय की सेवा,
ऐसे बीते जवानी।।

अशिक्षित को शिक्षित बना दो,
कमजोर को बलशाली।
भटके को सच राह दिखा दो,
भीखारी को भी दानी।।

दीन दुखियों को खुशियां दे दो,
रोते को हंसी सारी।
रोगी को आराम दिला दो,
हो ऐसा कर्म कहानी।।

प्रेम भाव का दीप जला दो ,
बोलकर अमृत वाणी।
मानव ही नहीं आपसे
प्रेम करे हर प्राणी।।

मानक छत्तीसगढ़िया

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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