भोजन शाकाहार को, खाते हैं जो लोग।
जीते लंबी उम्र तक, पाते बदन निरोग ।।
शाकाहारी जो बने, रहे सदा संतोष।
स्वच्छ रहे तन मन सदा, शीघ्र न आये रोष।।
शाकाहारी अन्न के , मिलते लाभ अनेक ।
जीवन होता सादगी, हो विस्तार विवेक।।
सादा भोजन उच्च है, कहते संत सुजान।
महापाप है जीव वध ,लेना तुम संज्ञान।।
भोजन शाकाहार में ,लगे न कोई पाप।
वध मत करना जीव का, देते हैं वे श्राप ।।
लाखों रुपये की दवा,होती शाकाहार।
लागू करें समाज में, सुखी रहे परिवार।।
शाकाहारी बन सदा, मानों गीता बात।
पशु पक्षी से प्रेम कर, न हो जीव आघात ।।
गीता सागर
इन्दरपुर, बसना महासमुन्द छ. ग.