श्री विष्णु जी प्रार्थना
लीला-भेदों से हुआ,
नाम -भेद और रूप।
महाविष्णु ,ब्रह्मा सहित ,
दिखते सभी अनूप।।
पूजें आस्थावान सब,
राम -कृष्ण, शिव-शक्ति ।
देवी, सूर्य, गणेश मे,
होती निष्ठा -भक्ति।।
नाम, रूप हो इष्ट के,
पूजा विधि अनुसार।
सुखी देव पर आस्था,
मे प्रभु ही आधार।।
ऐसी ही हो धारणा,
तो सबका सम्मान।
एक इष्ट आराधना,
से पाते सब मान।।
यदि हम पूजें विष्णु जी ,
करें नाम का जाप।
राम-कृष्ण -शिव पा रहे,
पूजा अपने आप।।
राम-कृष्ण -शिव पूजने,
से पूजा पर होम।
मिल जाता श्री विष्णु को,
पहुँचाता है व्योम।।
जैसे हर सरिता बहा,
अपने निर्मल नीर।
सागर मे पहुँचा रही,
रखे सिंधु गंभीर ।।
इसी तरह कर प्रार्थना,
श्री विष्णू जी नित्य।
सबकी स्वीकारें सदा,
यथा रश्मि आदित्य।।
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एन्०पी०विश्वकर्मा, रायपुर
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