सूनी सूनी संध्या भोर

सूनी सूनी संध्या भोर

morning
प्रातःकालीन दृश्य

काली काली लगे चाँदनी
चातक करता नवल प्रयोग।
बदले बदले मानस लगते
रिश्तों का रीता उपयोग।।

हवा चुभे कंटक पथ चलते
नीड़ों मे दम घुटता आज
काँप रहा पीला रथ रवि का
सिंहासन देता आवाज
झोंपड़ियाँ हैं गीली गीली
इमारतों में सिमटे लोग।
बदले…………………।।

गगन पथों को भूले नभचर,
सागर में स्थिर है जलयान
रेलों की सीटी सुनने को
वृद्ध जनों के तरसे कान
करे रोजड़े खेत सुरक्षा
भेड़ करें उपवासी योग।
बदले………………..।।

हाट हाट पर उल्लू चीखे
चमगादड़ के घर घर शोर
हरीतिमा भी हुई अभागिन
सूनी सूनी संध्या भोर
प्राकृत का संकोच बढ़ा है
नीरवता का शुभ संयोग।
बदले…………………।।

बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*
बौहरा-भवन सिकंदरा,३०३३२६
दौसा, राजस्थान,

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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