सूर घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’

घनाक्षरी छंद विधान:सूर घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’

सूर घनाक्षरी विधान

  • ३० वर्ण(८८८६) प्रतिचरण
  • चार चरण समतुकांत
  • चरणांत की कोई शर्त नहीं है।

सूर घनाक्षरी विधान का उदाहरण

. __जल रक्षण__

मनुज भूल नादानी,
आज समय की मानी,
बचत वर्षा का पानी
सोचो कुण्ड बने।

नही बहा ये अमृत
बचा नीर से प्राकृत,
धरा हेतु है सुकृत
टांके कुण्ड बने।

ताल तलैया बापी
गहराई कब मापी,
रेत खेत तप तापी
कूएँ कुण्ड बनें।

घर हो या दफ्तर हो
ऊँचा हो कमतर हो,
जन मन सभी सुने
पक्के कुण्ड बने।

. —–+——
©~~~~~~~~बाबूलालशर्मा *विज्ञ*

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *