सुहाना मौसम पर कविता -रबीना विश्वकर्मा
मौसम कुछ यूँ सुहाना सा है ।।
अपने आप में ही बेगाना सा है ,
इन्द्र धनुष में रंगों का सिलसिला सप्त सा है ,
आसमान में रंग कुछ यूँ चटकाना सा है ,
बादलों का अपने आप में चमकाना सा है ,
मौसम कुछ यूँ सुहाना सा है ।।
हवाओं के झोको का यूँ ही गुनगुना सा है ,
बारिश कि बूॅदो में अपना ही शर्माना सा है ,
नदियों के लहरों का यूँ ही मुस्कुराना सा है ,
पेड़ पौधों का आपस में खेल जाना सा है ,
मौसम कुछ यूँ सुहाना सा है ।।
बादलों का यूँ ही बुदबुदाना सा है ,
मोरो को अपने ताल पर नचाना सा है ,
बारिश के बौछारो में भीग जाना सा है ,
प्रकृति का ये नजारा देखना सा है ,
मौसम कुछ यूँ सुहाना सा है ।।
मौसम कुछ यूँ सुहाना सा है ।।
-रबीना विश्वकर्मा