सुख दुख पर कविता

सुख दुख पर कविता

सुख का सागर भरे हिलोरे।
जब मनवा दुख सहता भारी।
सुख अरु दुख दोनों ही मिलकर।
जीवन की पतवार सँभारी।
दुखदायी सूरज की किरणें।
झाड़न छाँव लगे तब प्यारी।
भूख बढ़े अरु कलपै काया।
रूखी सूखी पर बलिहारी।
पातन सेज लगे सुखदायक।
कर्म करे मानव तब भारी।
लेय कुदाल खेत कूँ खोदे।
स्वेद बूँद टपके हदभारी।
मानुष तन कू सार यही है।
सुख दुख लोगन कू हितकारी।
ऐसो खैल रचे मनमोहन,
‘भावुक’ जाय आज बलिहारी!!
~~~~भवानीसिंह राठौड़ ‘भावुक’
टापरवाड़ा!!!
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *