चोर- चोर मौसेरे भइया – उपमेंद्र सक्सेना

चोर- चोर मौसेरे भइया अंधिन के आगे जो रोबैं,बे अपने नैनन कौ खोबैंचोर -चोर मौसेरे भइया,बे काहू के सगे न होबैं। कच्ची टूटै आज गाँव मै,ठर्रा केते पियैं लफंगापुलिस संग मैं उनके डोलै, उनसे कौन लेयगो पंगारोज नदी मै खनन होत है, रेता बजरी चोरी जाबैरोकै कौन इसै अब बोलौ,रोकन बारो हिस्सा खाबै खुद फूलन … Read more

हिंदी का पासा – उपेन्द्र सक्सेना

पलट गया हिंदी का पासा गीत-उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट हिंदी बनी राजभाषा ही, लेकिन नहीं राष्ट्र की भाषाक्षेत्रवाद के चक्कर में ही, पूरी हो न सकी अभिलाषा। पूर्वोत्तर के साथ मिले जब, दक्षिण के भी लोग यहाँ परहिंदी का विरोध कर जैसे, जला रहे हों अपना ही घरहिंदी की सेवा में जिसको, देखा गया यहाँ पर … Read more