Tag: भोलेनाथ पर हिंदी कविता

  • शिव महिमा

    प्रस्तुत कविता शिव की महिमा भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

    शिव महिमा

    शिव सत्य है, शिव अनंत है,
    शिव अनादि है, शिव भगवंत है|
    शिव ओंकार है, शिव ब्रह्मा है,
    शिव शक्ति है, शिव भक्ति है|
    शिव सूक्ष्म है, शिव संसार है,
    शिव प्रेम है, शिव विश्वास है |
    शिव साकार है, शिव निराकार है,
    शिव विष है, शिव सुधा है|
    शिव त्रिनेत्र है, शिव महाकाल है,
    शिव परमानंद है,शिव की महिमा अपरंपार है|

    प्रस्तुति

    कृष्णा चौहान अमेरी, जिला रायगढ़ (छ.ग.)

  • बम लहरी बम बम लहरी (शिव महिमा)

    बम लहरी बम लहरी (शिव महिमा)

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    शिव शम्भू जटाधारी, इसमें रही क्या मर्जी थारी,
    सर पे जटाएं, जटा में गंगा, हाथ रहे त्रिशूलधारी।
    गले से लिपटे नाग प्रभू, लगते हैं भारी विषधारी,
    असाधारण वेश बना रखा, क्या रही मर्जी थारी।।

    भुत-प्रेत, चांडाल चौकड़ी, करते सदा पूजा थारी,
    राक्षस गुलामी करते सारे, चमत्कारी शक्ति थारी।
    शिवतांडव, नटराज नृत्यकला नहीं बराबरी थारी,
    मस्तक त्रिनेत्र खुले तो प्रभू, हो जाए प्रलय भारी।।

    ब्रह्मा विष्णु देवी देवता भी अर्चना करते हैं थारी,
    पुत्र गणेश प्रथम देवता, पार्वती मां पत्नी थारी।
    हे शिव शंकर बम लहरी प्रजा पीड़ित क्यों थारी,
    बम लहरी बम बम लहरी, बड़ी कृपा होगी थारी।।

    विनती सुनो हे कालजय तीनों लोक है जय थारी,
    कोरोना बाढ़ भूकंप प्रलय से, रक्षा करो थे म्हारी।
    भ्रष्टाचार, महंगाई से भी पीड़ित जन प्रजा थारी,
    भू-मण्डल सुरक्षित कर दो प्रभू कृपा होगी थारी।।

    शिव शम्भू, जय जटाधारी कृपा होगी थारी भारी,
    शिवरात्री तिलक भोग लगे, बलिहारी प्रजा सारी।
    भक्त वश में भगवन् सारे फिर कैसी मर्जी थारी,
    कृपा करो दीनानाथ, विनती करे सब नर नारी।।

    राकेश सक्सेना, बून्दी, राजस्थान

  • शिव की सात शक्ति

    प्रस्तुत कविता शिव की सात शक्ति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

    शिव की सात शक्ति

    शिव की सातों शक्तियों,
    की साधना पुनीत।
    जब ये अनुकूलित रहे,
    साधक रिपु लें जीत।।
    सात मातृका हैं शिवा,
    इनका तीव्र प्रभाव।
    साधक पर पड़ता सदा,
    जाता बदल स्वभाव।।
    श्रीब्रह्माणी, वैष्णवी,
    माहेश्वरी तीन।
    इंद्राणी -कुमारीका च,
    वाराहीश्च पुनीत।।
    चामुण्डा है अति प्रबल,
    शिव की शक्ति अखण्ड।
    खुश हो तो सुख दें सदा,
    नाखुश हो तो दण्ड ।।
    पृथक -पृथक है साधना,
    तथा पृथक आयाम।
    जब जैसी हो परिस्थिति,
    करती वैसे काम।।
    मार्कण्डेय पुराण में,
    वाराही के नाम।।
    रक्तबीज संहार का ,
    लिखा हुआ है काम।।
    वाराही की साधना ,
    दक्षिण के तत्काल।
    विपदायें है रोकती,
    रुक जाता है काल।।
    संकट -शत्रु निवारती,
    हरि अंशी यह शक्ति ।
    श्रद्धा से हो साधना,
    मिलती हरि की भक्ति ।।


    एन्०पी०विश्वकर्मा, रायपुर


  • शिव में शक्ति पर कविता

    प्रस्तुत कविता शिव में शक्ति पर कविता भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

    शिव में शक्ति पर कविता

    शिव मंगल के हेतु हैं,
    किन्तु दुष्ट प्रतिकार।
    शक्ति कालिका ही करे,
    रिपु दिल का संहार।।
    गलता हो तन का कहीं ,
    भाग करे जो तंग।
    तुरत काटते वैद्य हैं,
    व्याधि नाश हित अंग।।
    ऐसे ही माँ कालिका,
    रखतीं मृदुल स्वभाव।
    लेकिन पति आदेश से,
    करतीं रिपु पर घाव।।
    वे समाज के रोग को,
    काट करें संहार।
    स्वच्छ भाग को सौपती ,
    जग के पालनहार।।
    करते हैं भगवान ही,
    रक्षा , पालन खास।
    धर्म, भक्त रिपुहीन हों,
    हो अधर्म का नाश ।।
    सबसे हो शिवभक्ति शुभ,
    पाप कर्म से दूर।
    हर -गौरी को पूजकर,
    सुख पायें भरपूर।।
    जैसे घृत है दुग्ध में,
    दिखता नहीं स्वतंत्र ।
    बिना मथे मिलता नही,
    वैसे ही शिवतंत्र।।
    शिव मे शक्ति रही सदा,
    पृथक नही अस्तित्व ।
    पडी़ जरूरत जब जहाँ ,

    दिखता वहीं सतीत्व।।

    एन्०पी०विश्वकर्मा, रायपुर

  • शिव स्तुति – केंवरा यदु मीरा

    प्रस्तुत कविता शिव स्तुति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

    शिव स्तुति – केंवरा यदु मीरा


    चौपाई छंद


    जय जय जय भोले त्रिपुरारी ।
    तुमहो भक्तों के दुख हारी।।
    माथे चंदा सिर पर गंगा ।
    गल पे सोहे हार भुजंगा।।

    सँग में सोहे गौरी माता ।
    तुमहो सबके भाग्य धाता।।
    कहलाते भोले भंडारी ।
    तुमहो प्रभु त्रिपदा भय हारी।।

    भूत प्रेत के तुम हो स्वामी।
    जगत नियंता अंतर्यामी ।।
    करते हो तुम बैल सवारी।
    तीन नेत्र की महिमा भारी।।

    डमरू धर तुम हो कैलाशी।
    निरंकार हो तुम अविनाशी।।
    महादेव कालों के काला।
    मीरा के प्रभु तुम रखवाला ।।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम