Tag: अमृता प्रीतम पर कविता

  • नाग पंचमी पर कविता – अमृता प्रीतम

    नाग पंचमी पर कविता – अमृता प्रीतम

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    मेरा बदन एक पुराना पेड़ है…
    और तेरा इश्क़ नागवंशी –
    युगों से मेरे पेड़ की
    एक खोह में रहता है।

    नागों का बसेरा ही पेड़ों का सच है
    नहीं तो ये टहनियाँ और बौर-पत्ते –
    देह का बिखराव होता है…

    यूँ तो बिखराव भी प्यारा
    अगर पीले दिन झड़ते हैं
    तो हरे दिन उगते हैं
    और छाती का अँधेरा
    जो बहुत गाढ़ा है
    – वहाँ भी कई बार फूल जगते हैं।

    और पेड़ की एक टहनी पर –
    जो बच्चों ने पेंग डाली है
    वह भी तो देह की रौनक़…

    देख इस मिट्टी की बरकत –
    मैं पेड़ की योनि में आगे से दूनी हूँ
    पर देह के बिखराव में से
    मैंने घड़ी भर वक़्त निकाला है

    और दूध की कटोरी चुराकर
    तुम्हारी देह पूजने आई हूँ…

    यह तेरे और मेरे बदन का पुण्य है
    और पेड़ों को नगी बिल की क़सम है
    और – बरस बाद
    मेरी ज़िन्दगी में आया –
    यह नागपंचमी का दिन है…