कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह
कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह फूस की झोपड़ी तले बैठकर।चाक को घुमाता है वो दिनभर।खुदरे हुए हाथों से गुंदकेमाटी के वो बनाता है मटकेतड़के कलेवा करने के बादलगा रहता…
कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह फूस की झोपड़ी तले बैठकर।चाक को घुमाता है वो दिनभर।खुदरे हुए हाथों से गुंदकेमाटी के वो बनाता है मटकेतड़के कलेवा करने के बादलगा रहता…
प्रस्तुत हिंदी कविता "मोची" के रचयिता आशीष कुमार (मोहनिया, बिहार) हैं. इस कविता को "मोची" के जीवन को आधार मानकर रचा गया है.