Tag: #धर्मेन्द्र वर्मा

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० धर्मेन्द्र वर्मा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया

    आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    भूत बनकर बैताल संग भोले की बारात में जायंेगे
    भोले की बरात में नाचेंगे, गायेंगे और खूब धमाल मचाऐंगे।।
    ‘‘आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया’’
    हे मेरे भोले, तेरे गले में होगा लिपटा होगा नाग।
    जिसको देखकर हर बाराती में लग जायेगी नाचने की आग।।
    ‘‘आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया’’
    तू तो बारात में पी जायेगा बिष का प्याला।
    और तू बन जायेगा जगत का रखवाला।
    ‘‘आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया’’
    हे मेरे शिव शंकर कैलाश पर्वत वाले।
    तुम ही बने हो सबके रखवाले।।
    ‘‘आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया’’
    भांग पीकर तेरा रूप हो जाये निराला।
    तू अपने भक्तों पर हो जाये मतवाला।।
    ‘‘आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया’’
    तेरी बरात में सब पर चढ गयी भांग ।
    तूने मेरी सबके सामने भर दी माँग।।
    ‘‘आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया’’
    पीकर भांग तूने जमा लिया, बरात में अपना रंग
    आज तो मैं साथ जाऊँगी तेरे ही संग।।
    ‘‘आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया’’
    अगर तेरे भक्तों को मिल जाये तेरे चरणों की धूल।
    फिर मैं तुमको कभी नहीं पाऊँगी भूल।।
    ‘‘आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया’’
    जिसने भी मेरे भोले पर बेलपत्र और घतूरा चढ़ाया।
    उसका इस संसार में कोई भी कुछ भी न बिगाड़ पाया।।
    ‘‘आया रे आया मेरे भोले का त्यौहार आया’’

    धर्मेन्द्र वर्मा (लेखक एवं कवि)
    जिला-आगरा, राज्य-उत्तर प्रदेश

  • धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ – धमेन्द्र वर्मा

    मातृपितृ पूजा दिवस भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज यह 14 फरवरी को देश विदेश में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में रमन सरकार द्वारा प्रदेश भर में आधिकारिक रूप से मनाया जाता है।

    maa-par-hindi-kavita
    माँ पर कविता

    धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी

    धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ।
    इस धरती पर मेरी रोशनी है मेरी माँ।।
    ‘‘धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ’’


    इस धरती पर सूने जीवन की आशा है मेरी माँ।
    धरती पर ईश्वर का दूसरा अवतार है मेरी माँ।।
    ‘‘धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ’’


    मेरे रोशन होते चेहरे का कारण है मेरी माँ।
    मेरे घर के स्वर्ग होने का अहसास दिलाती है मेरी माँ।।
    ‘‘धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ’’


    तेरे बिना जीवन में अंधेरा ही अँधेरा है मेरी माँ।
    मेरे प्रति तेरा प्रेम अमूल्य है मेरी माँ।।
    ‘‘धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ’’


    तू है अगर जीवन में, सब मुमकिन हैं मेरी माँ।
    मुझे तूने अपने रक्त से सींचकर बनाया है मेरी माँ।।
    ‘‘धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ’’


    मुझे विश्व मे तू ंसबसे प्यारी है मेरी माँ।
    तेरे आशीर्वाद से बडे से बडे कष्ट टल जाते है मेरी माँ।।
    ‘‘धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ’’


    तू अगर साथ है, तो जीवन में उजाला है मेरी माँ।
    वो घर घर नहीं होता, जिस घर में नहीं होती है माँ।।
    ‘‘धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ’’


    जब तक मैं घर नहीं लौटता, तब तक नहीं सोती है मेरी माँ।
    तेरा प्यार ही दुनिया में सबसे निराला है मेरी माँ।।
    ‘‘धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ’’


    मुझे मेरी पहली धड़कन देती है मेरी माँ।
    तेरा प्रेम ही विश्व में सबसे उच्च प्रेम हैं मेरी प्यारी माँ।।
    ‘‘धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ’’


    जग में है अगर अधियारा, तो मेरे लिये उजाला है मेरी माँ।
    मुझे तेरे आँचल जैसा प्रेम मुझे कहीं नहीं मिलता मेरी माँ।।
    ‘‘धरती पर प्रेम का दूसरा रूप है मेरी माँ’’


    धमेन्द्र वर्मा (लेखक एवं कवि)
    जिला-आगरा, राज्य-उत्तर प्रदेश
    मोबाइल नं0-9557356773
    वाटसअप नं0-9457386364

  • आया रे आया बसंत आया

    आया रे आया बसंत आया

    आया रे आया बसंत आया
    आया रे आया बसंत आया।
    पेड़-पौधों के लिये खुशहाली लेकर आया।।
    आया रे आया बसंत आया।

    चारों तरफ छायी है खुशियाली।
    पेडो़ पर आयी है नयी हरियाली।।
    आया रे आया बसंत आया।

    आने वाली है रंगो की होली।
    बसंत की खुशी में पशु-पक्षी डोल रहे हैं डाली-डाली।।
    आया रे आया बसंत आया।

    बसंत की खुशी में पौधों पर नये फूल आ रहे बारी-बारी।
    इन नये फूल, पत्तों को देखकर झूम रही दुनिया सारी।।
    आया रे आया बसंत आया।

    किसानों के लिये खुशियाँ लाया।
    घर घर में है हरे रंग का उजाला छाया।।
    आया रे आया बसंत आया।

    पेड़ों के लिये है बसंत नया जीवन लाया।
    पेड़ों पर नये फूल और पत्ती लाया।।
    आया रे आया बसंत आया।

    बंसत को देखकर मुस्कराई जवानी।
    जिस तरफ देखो बसंत के रंगों की ही कहानी।।
    आया रे आया बसंत आया।

    नये नये फूलों ने अपनी सुगन्ध से बगियाँ को चहकाया।
    उसकी सुगन्ध से सारी दुनिया समझ गयी कि बसंत आया।।
    आया रे आया बसंत आया।

    बसंत लाया मस्ताना मौसम और हवा मस्तानी।
    बसंत की हरियाली को देखकर दुनिया हो गयी दीवानी।।
    आया रे आया बसंत आया।

    चारों तरह हो रहा जंगल में बसंत का शोर।
    नाच रहे शेर, वाघ, कोयल और मोर।।
    आया रे आया बसंत आया।।

    किसानों के लिये सुनहरा मौसम आया।
    चारों तरफ हरियाली ही हरियाली लाया।।
    आया रे आया बसंत आया।


    धमेन्द्र वर्मा (लेखक एवं कवि)
    जिला-आगरा, राज्य-उत्तर प्रदेश
    मोबाइल नं0-9557356773
    वाटसअप नं0-9457386364