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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०डा० डॉ एन के सेठी के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • मोहिनी-डॉ एन के सेठी

    मोहिनी-कुंडलियाँ

    सूरत है मन मोहिनी, राधा माधव साथ।
    हुए निरख सब बावरे, ले हाथों में हाथ।।
    ले हाथों में हाथ, छवि लगती अति न्यारी।
    मुरलि बजाए श्याम,लगे सबकोये प्यारी।।
    कहता कवि करजोरि,है मनमोहिनी मूरत।
    सब पाएं सुख चैन, देखके उनकी सूरत।।
    🕉🕉🕉🕉
    राधा गोरी है अधिक, साँवले घनश्याम।
    लगती दोनों की छवी,अनुपमअरुअभिराम।।
    अनुपम अरु अभिराम, रूप सुंदर है भाया।
    प्रेमभावअलौकिक,दुनिया को ही सिखाया।।
    कहत नवल करजोरि, भक्तिपथ हो निर्बाधा।
    मन में निश्छल प्रेम, बसे तब मोहन राधा।।

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    ©डॉ एन के सेठी

  • माँ की मान पर कविता

    यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।

    माँ की मान पर कविता

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    माँ पर कविता

    है माँ की शक्ति अपार
    माँ है सृष्टि का आधार
    माँ के जैसा कोई नही
    माँ का मान कीजिये।

    माँ ईश्वर का रूप है
    माँ देवी का स्वरूप है
    माँ की ममता है न्यारी
    माँ को प्यार कीजिये।।


    बच्चे की प्रथम गुरु
    दुनिया माँ से ही शुरू
    माँ प्रेम व विश्वास है
    माँ की सेवा कीजिये।।

    माँ ममता की मूरत
    है भोली भाली सूरत
    वात्सल्य का आगार है
    आशीर्वाद लीजिए।।

    माँ का हृदय विशाल
    कर देती खुशहाल
    माँ का प्यार अमूल्य है
    माँ की भक्ति कीजिये।।

    माँ का प्यार निस्वार्थ है
    जीवन का यथार्थ है
    सृष्टा की अद्भुत सृष्टि
    माँ को खुश कीजिये।।

    ईश्वर का वरदान
    माँ गीता और कुरान
    माँ जगत जननी है
    माँ का ध्यान कीजिये।।

    माँ बिन सृष्टि अधूरी
    माँ से होती यह पूरी
    माँ से पूरा जहान है
    माँ की पूजा कीजिये।।

    डॉ एन के सेठी

  • श्रमिक पर कविता

    श्रमिक पर कविता

    खून पसीना एक कर,करता जग कल्याण।
    औरों के हित के लिए, देता अपने प्राण।।
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    स्वेद बहे मजदूर का, तभी बने आवास।
    जीवन में पाता वही, श्रम से करे प्रयास।।
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    श्रम जीवन में जो करे, होता बड़ा महान।
    इसके बल पर ही वही, पाता जग में मान।।
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    कठिन परिश्रम से मनुज,पत्थरभी पिघलाय।
    करे परिश्रम जो यहाँ, वही सफलता पाय।।
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    करे परिश्रम जोश्रमिक,नित्य दिवसअरु रात।
    अपना सुख दुख भूलकर,करे सुखी हर गात।।

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    ©डॉ एन के सेठी

  • श्रीराम पर कविता / डॉ एन के सेठी

    श्रीराम पर कविता / डॉ एन के सेठी

    श्रीराम पर कविता / डॉ एन के सेठी

    shri ram hindi poem.j

    मर्यादा श्री राम की, जीवन में अपनाय।
    अहंभाव को त्यागकर,सदा नम्र बन जाय।।1।।

    सेवक हो हनुमान सा,होय न हिम्मत हार।
    लाय पहाड़ उठायके, करें दुखों से पार।।2।।


    अंत दशानन का हुआ, हुई राम की जीत।
    अहं भाव को त्यागकर, करो राम से प्रीत।।3।।

    रामचरित से सीख लें, संबंधों का मान।
    करें राष्ट्र हित कार्य हम, भारत की संतान।।4।।
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    आत्म मंथन करें सभी, दूर करें कुविचार।
    पर दूषण देखें नहीं, खुद में करे सुधार।।5।।

    त्याग दान का मूल है, नही करें गुणगान।
    करता है गुणगान जो ,नही होय वह दान।।6।।

    रामचरित से सीख लें, करें सदा सत्कर्म।
    मर्यादा की पालना, होय सभी का धर्म।।7।।

    रामराज्य की कल्पना, होय तभी साकार।
    शासनऔरअवाम सब,मिलके करे विचार।।8।।

    भू जलअग्नि वायु गगन,सभी प्रकृति केअंग।
    स्वच्छ रखें इनको सदा,रहें प्रकृति के संग।।9।।

    कर्म करो निष्काम तुम, स्वयं अकर्ता जान।
    करें आत्ममंथन सभी, गीता का ये ज्ञान।।10।।

    ©डॉ एन के सेठी

  • पुस्तक पर दोहे – डॉ एन के सेठी

    यह विभिन्न श्रेणियों के अर्न्तगत हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओँ एवं ब्रेल लिपि में पुस्तकें प्रकाशित करता है। यह हर दूसरे वर्ष नई दिल्ली में ‘विश्व पुस्तक मेले’ का आयोजन करता है, जो एशिया और अफ्रीका का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। यह प्रतिवर्ष 14 से 20 नवम्बर तक ‘राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह’ भी मनाता है।

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    पुस्तक पर दोहे-डॉ एन के सेठी

    पुस्तक होती है सदा, सबसे अच्छा मित्र।
    ज्ञान हमे देती यही, प्रस्तुत करती चित्र।।१।।

    पुस्तक पढ़कर के मनुज ,बनता है विद्वान।
    जीवन के हर दुख का,मिलता उसे निदान।।२।।

    पुस्तक पढ़ने से हमे, मिलते हैं संस्कार।
    सरस्वती की हो कृपा, होवे शुद्ध विचार।।३।।

    माता पुस्तकधारिणी, करती कृपा अपार।
    करता उसकीभक्ति जो,मिट जायअंधियार।।४।।

    पुस्तक पढ़करभी मनुज,करता दुर्व्यवहार।
    ज्ञान अधूरा पाय के, रखता है कुविचार।।5।।

    ©डॉ एन के सेठी