अभिमान पर दोहे

doha sangrah

प्रस्तुत हिंदी कविता ” अभिमान ” कवयित्री मनोरमा चंद्रा’रमा‘ के द्वारा दोहा — छंद में रची गई है। इस कविता में कवयित्री ने माया , धन वैभव की निस्सारता, जाति धर्म भेदभाव पर भी बात रखी है। अभिमान पर दोहे मन में निश्छलता रहे, छोड़ चलें अभिमान।श्रेष्ठ जीत के भ्रम पड़े, खोना मत पहचान।। माया … Read more