संतोषी महंत की नवगीत – संतोषी महंत
संतोषी महंत की नवगीत कविता संग्रह हंसकर जीवन-अथ लिख दें या रोकर अंजाम लिखें।जीवन की पीड़ाओं के औ कितने आयाम लिखें।। धाराओं ने सदा संभालातटबंधों ने रार किया।बचकर कांटों से…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० संतोषी महंत श्रद्धा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
संतोषी महंत की नवगीत कविता संग्रह हंसकर जीवन-अथ लिख दें या रोकर अंजाम लिखें।जीवन की पीड़ाओं के औ कितने आयाम लिखें।। धाराओं ने सदा संभालातटबंधों ने रार किया।बचकर कांटों से…
गीत अब कैसे लिखूं स्वप्न आंखों में मरे हैं,पुहुप खुशियों के झरे हैं,गीत अब कैसे लिखूं।। सूखती सरिता नयन की,दिन फिरे चिंतन मनन की।अब निभाता कौन रिश्ता,सात जन्मों के वचन…