संतोषी महंत की नवगीत – संतोषी महंत

संतोषी महंत की नवगीत हंसकर जीवन​-अथ लिख दें या रोकर अंजाम लिखें।जीवन  की  पीड़ाओं  के औ कितने आयाम लिखें।। धाराओं ने सदा संभालातटबंधों ने रार किया।बचकर कांटों से निकले तोफूलों ने ही वार किया।।बंटवारा लिख दें किस्मत काया खुद का इल्जाम लिखें।।जीवन की पीड़ाओं के……. चौसर की छाती पर खुशियोंके जब-जब भी पांव परे।कृष्णा कहलाने … Read more

गीत अब कैसे लिखूं

हाइकु

गीत अब कैसे लिखूं स्वप्न आंखों    में  मरे  हैं,पुहुप खुशियों के झरे  हैं,गीत  अब   कैसे   लिखूं।। सूखती सरिता नयन की,दिन फिरे चिंतन मनन की।अब  निभाता  कौन  रिश्ता,सात  जन्मों  के वचन की।।प्रिय जनों  के  साथ   छूटे,शेष   अपने    वही   रूठे।गीत  अब   कैसे    लिखूं।। हसरतों   के     झरे   पत्ते,वृक्ष  से   उघरे  हुए   हम।कर तिरोहित पुण्य पथ को,धूल  से  बिखरे  … Read more