संतोषी महंत की नवगीत – संतोषी महंत
संतोषी महंत की नवगीत हंसकर जीवन-अथ लिख दें या रोकर अंजाम लिखें।जीवन की पीड़ाओं के औ कितने आयाम लिखें।। धाराओं ने सदा संभालातटबंधों ने रार किया।बचकर कांटों से निकले तोफूलों ने ही वार किया।।बंटवारा लिख दें किस्मत काया खुद का इल्जाम लिखें।।जीवन की पीड़ाओं के……. चौसर की छाती पर खुशियोंके जब-जब भी पांव परे।कृष्णा कहलाने … Read more