यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर 0 विजिया गुप्ता समिधा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

शबरी पर कविता

शबरी की भक्ति kavita bahar शबरी पर हुई गुरु कृपा,दीन्हो कुटी निवास।दर्शन होंगे राम के,राखो दृढ़ विश्वास।। शबरी पंथ बुहारती,इत उत देखे धाय।आयेगी कब शुभ घड़ी,राम मिलेंगे आय।। आवत देखे…

Continue Readingशबरी पर कविता

दीपावली पर कविता (Poem on Diwali in Hindi)

दिवाली / दीपावली पर कविता (Poem on Diwali in Hindi) : भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस…

Continue Readingदीपावली पर कविता (Poem on Diwali in Hindi)

छत्तीसगढ़ी भोजन बासी पर कविता

छत्तीसगढ़ के गाँव में बोरे बासी का बहुत ज्यादा महत्व है। मजदूर किसान सभी काम पर जाने से पहले घर से बासी खाकर निकलते हैं। बासी के महत्व को जानने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने भी 1 मई को मजदूर दिवस के दिन बासी खाकर मजदूरों का सम्मान करने की अपील की है। अब से छत्तीसगढ़ में मजदूर दिवस को बोरे बासी दिवस के रूप में मनाया जायेगा.

Continue Readingछत्तीसगढ़ी भोजन बासी पर कविता

भूकंप – त्रासदी पर कविता

भूकंप - त्रासदी कुदरत के कहर के आगे,नतमस्तक हो बेबस हैं हम।चाहकर भी कुछ कर ना सके,संवेदना जैसे शून्य हुई।प्रकृति का यह रौद्र रूपदेख हृदय उद्वेलित है।कुछ कहने को शब्द…

Continue Readingभूकंप – त्रासदी पर कविता

30 अक्टूबर विश्व बचत दिवस : पैसों की महत्व पर हिंदी कविता

यहाँ पर 30 अक्टूबर विश्व बचत दिवस पर हिंदी कविता दी जा रही है आपको कौन सी कविता अच्छी लगी कमेंट करके बताएं 30 अक्टूबर विश्व बचत दिवस : पैसों…

Continue Reading30 अक्टूबर विश्व बचत दिवस : पैसों की महत्व पर हिंदी कविता

विजिया गुप्ता समिधा की कवितायेँ

यहाँ पर आपको विजिया गुप्ता समिधा की कवितायेँ दिए जा रहे हैं कविता संग्रह स्वार्थहीन प्रेम अलौकिक स्वार्थहीन प्रेम,आत्मा का आत्मा से मिलन।सबकुछ मर्यादित और सधा हुआ सा,राधा कृष्ण हो…

Continue Readingविजिया गुप्ता समिधा की कवितायेँ

कवयित्री विजिया गुप्ता समिधा -बस यही ख्वाहिश है मेरी

बस यही ख्वाहिश है मेरी इक कली की उम्र पाऊँ,फिर चमन में खिलखिलाऊँ,किसी भ्रमर का प्यार पाऊँ,तितलियों को भी लुभाऊँ,माली का भी हित निभाऊं,मुरझा कर फिर बिखर जाऊँ,याद बनकर याद…

Continue Readingकवयित्री विजिया गुप्ता समिधा -बस यही ख्वाहिश है मेरी

स्त्री की व्यथा – विजिया गुप्ता समिधा

स्त्री की व्यथा स्त्री की व्यथा वह भी एक स्त्री थी।उसकी व्यथा,मुझे ,मेरे अंतर्मन को,चीरकर रख देती है।टुकड़े-टुकड़े हो बिखर जाती है,मेरे अंदर की नारी।जब महसूस करती है ,उसकी वेदना ।कितना…

Continue Readingस्त्री की व्यथा – विजिया गुप्ता समिधा

विश्व संगठित पर कविता -विजिया गुप्ता “समिधा

विश्व संगठित पर कविता विश्व शांति अभियान चलायेंआओ मिल कर कदम बढायेंरंग-भेद को दूर भगायेंआपस में सदभाव जगाएं जाति,धर्म के भेद मेंहनित ना हो अधिकारसर्वधर्म समभाव कासपना हो साकार  लिंग-भेद…

Continue Readingविश्व संगठित पर कविता -विजिया गुप्ता “समिधा