मोला मया हे तोर से बड़ रे

ए देखत कि तोला
का होगै मोला।
मोर जिया करे फड़ फड़ रे।
मोला मया हे तोर से बड़ रे।

जहां जावा तोला पावा
तोर पाछु मय ह आवा।
का सुनावा, का बतावा रे।
तोर मोहनी सूरत देखके
मयतो मरमरजावा रे।
तोर सुरता ऐसे लागे
मैं ठहरो बेरा भागे।
मोर काम बुता नई होवे रीता
हो जाथे गड़बड़ रे।
मोला मया हे तोर से बड़ रे।

दिवस आधारित कविता