सपनों का दाना /मनीभाई नवरत्न
![किसान खेत जोतते हुए](https://kavitabahar.com/wp-content/uploads/2024/05/India_Farmer.jpg)
जमीन में दफन होकर
पसीने से सिंचित
कड़ी देखभाल में
उगता है ,
सपनों का दाना बनके।
लाता है खुशियां;
जगाता है उम्मीद,
कर्ज चुकता करने की।
पर रह नहीं पाता
अपने जन्मदाता के घर।
खेत खलिहान से करता है
मंडे तक की सवारी।
और अपने ही भीड़ में
खो जाती है अनाथ होकर।
डरता है ,
बारदाने की घुटन से।
जाने कब मुक्ति मिलेगी?
किसी का पेट भरेगी
या पौधा बन विकास करेगी ?
या फिर और कुछ…….?
मनीभाई नवरत्न