मनोरमा चंद्रा के दोहे

दोहा

मनोरमा चंद्रा के दोहे मिथ्या मिथ्या बातें छोड़कर, सत्य वचन नित बोल।दुनिया भर में यश बढ़े, बनें जगत अनमोल ।। अपने मन में ठान कर, मिथ्या का कर त्याग।जीवन कटे शुकून से, समय साथ लो जाग।। सत्य झूठ में भेद अति, करलो सच पहचान।जीवन में हो सत्यता, बनो श्रेष्ठ इंसान।। झूठा बनकर सामने, खड़ा हुआ … Read more

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बीज मनुज का शैशव है-रेखराम साहू

कविता संग्रह

बीज मनुज का शैशव है आभासी परिदृश्यों से अब,हुआ प्रभावित बचपन है।नयी दृष्टि है,सोच नयी है,विश्व हुआ अधुनातन है!! परिवेशों से अर्जित करता,सद्गुण-दुर्गुण मानव है।युगों-युगों से तथ्य प्रमाणित,बीज मनुज का शैशव है।।शैशव में पोषित मूल्यों से ,बनता भावी जीवन है.. बिना सुसंस्कृति,अंधी शिक्षा,और पंगु है आविष्कार।स्वस्थ व्यक्ति निर्माण-सूत्र है,“हो सम्यक् आहार-विहार “।।ध्यान रहे यह नित्य,ज्ञान … Read more

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छत्तीसगढ़ी भोजन बासी पर कविता

छत्तीसगाढ़ी रचना

छत्तीसगढ़ के गाँव में बोरे बासी का बहुत ज्यादा महत्व है। मजदूर किसान सभी काम पर जाने से पहले घर से बासी खाकर निकलते हैं। बासी के महत्व को जानने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने भी 1 मई को मजदूर दिवस के दिन बासी खाकर मजदूरों का सम्मान करने की अपील की है। अब से छत्तीसगढ़ में मजदूर दिवस को बोरे बासी दिवस के रूप में मनाया जायेगा.

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मां का स्पर्श -सुशी सक्सेना

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मां का स्पर्श -सुशी सक्सेना न दवा काम आई, और न दुआ काम आईजब भी जरूरत पड़ी तो, मां काम आईमां का स्पर्श होता है, एक दवा की तरहजिसके मिलते ही मिट जाते हैं सारे ज़ख्ममां का स्पर्श होता है, उस दुआ की तरहजिसके लगते ही दूर हो जाते हैं सारे ग़म जो बरसता है … Read more

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जस्टीशिया(न्याय की देवी) -रेखराम साहू

जस्टीशिया(न्याय की देवी) –रेखराम साहू न्याय की अवधारणा,प्रतिमूर्ति में साकार है।ग्रस्त जो अन्याय से,उनका लिखा उपचार है।। नेत्र की पट्टी प्रदर्शित कर रही निश्पक्षता।है तुला,हो न्याय में व्यवहार की समकक्षता।।न्याय के रक्षार्थ कर में शक्ति की तलवार है… शेष कितना मूल्य है,अब न्याय के प्रतिमान का !वंचना यह निर्बलों को , ढाल सत्तावान का।।लोभ या … Read more

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श्याम कैसे मिले राधा से – स्वपन बोस

कृष्ण

श्याम कैसे मिले राधा से–स्वपन बोस श्याम कैसे मिले राधा से।राधा कृष्ण तो एक है ,फिर भी श्याम जुदा है राधा सेश्याम कैसे मिले राधा से,,,,,,। प्रेम की ये कैसी पीड़ा है आंसू हैं विरह के दोनों ओर , जैसे जल बिन मीन तरसे।बीन मेघ सावन में प्रेम की आंसू बरसें।श्याम कैसे मिले राधा से,,,,,। … Read more

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12 महीनों पर कविता (बारहमासा कविता)

12 महीनों पर कविता : भारतीय कालगणना में एक वर्ष में 12 मास होते हैं। एक वर्ष के बारह मासों के नाम ये हैं-

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समय की चाल – पद्म मुख पंडा

कविता संग्रह

समय की चाल सहज नहीं, जीवन भी जीना, नित उत्साह जरूरी है।हार गया, जो मन से, मानव की यह आदत, बूरी है।आएंगे तूफ़ान किस घड़ी, किसको भला पता है,निर्भय होकर, रहो जूझते, मिले सफलता पूरी हैज्ञानार्जन है बहुत जरूरी, बिना ज्ञान क्या कर सकते?विद्वतजन के साथ रहें तो, ये जीवन की धूरी है!है परिवर्तन शील … Read more

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बेवफ़ाई पर ग़ज़ल – माधुरी डड़सेना ” मुदिता”

गज़ल

बेवफ़ाई पर ग़ज़ल क्या शिकायत करें जब वफ़ा ही नहींफासले बढ़ रहे अब ख़ता ही नहीं। क्यूं उदासी यहाँ घेर डाला हमेंरोशनी दिल जिगर में हुआ ही नहीं। गर्दिशों में फँसी नाव मेरी यहाँबस धुँआ ही रहा मैं जला ही नहीं । आरजू थी चले हमसफ़र बनके हमदर्द इतना बढ़ा की दुआ ही नहीं । … Read more

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श्री नाथ की स्तुति – डॉ मनोरमा चंद्रा रमा

गेय कविता

यहां पर कवियत्री डॉ मनोरमा चंद्रा रमा द्वारा रचित कविता श्रीनाथ की स्तुति आपके समक्ष प्रस्तुत है श्री नाथ की स्तुति स्तुति कर श्री नाथ की, कृपा मिले भगवंत।कण-कण ईश विराजते, उनका आदि न अंत।। मिले प्रशंसा खास तो, रहना शुक्र गुजार।नम्र भावना से सदा, करें प्रकट आभार।। ध्यान धरे मन अर्चना, स्तुति पावन भाव।भक्ति … Read more

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