तुझे कुछ और भी दूँ !
● रामअवतार त्यागी
तन समर्पित, मन समर्पित
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ, देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ!
माँ ! तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन
किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन,
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब
स्वीकार कर लेना दयाकर वह समर्पण!
गान अर्पित, प्राण अर्पित
रक्त का कण-कण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ !
माँज दो तलवार को, लाओ न देरी
बाँध दो कसकर कमर पर ढाल मेरी
भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी
शीश पर आशीष की छाया घनेरी
स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित
आयु का क्षण-क्षण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।
तोड़ता हूँ मोह का बंधन, क्षमा दो,
गाँव मेरे, द्वार घर आँगन क्षमा दो,
आज बाएँ हाथ में तलवार दे दो,
और सीधे हाथ में ध्वज को क्षमा दो !
ये सुमन लो, यह चमन लो
नीड़ का तृण-तृण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझ कुछ और भी दूँ !
श्रम के देवता किसान
• वीरेंद्र शर्मा
जाग रहा है सैनिक वैभव, पूरे हिन्दुस्तान का,
गीता और कुरान का।
मन्दिर की रखवारी में बहता ‘हमीद’ का खून है,
मस्जिद की दीवारों का रक्षक ‘त्यागी’ सम्पूर्ण है।
गिरजेघर की खड़ी बुर्जियों को ‘भूपेन्द्र’ पर नाज है,
गुरुद्वारों का वैभव रक्षित करता ‘कीलर’ आज है।
धर्म भिन्न हैं किंतु एकता का आवरण न खोया है,
फर्क कहीं भी नहीं रहा है पूजा और अजान का।
गीता और कुरान का,
पूरे हिन्दुस्तान का।
दुश्मन ने इन ताल-तलैयों में बारूद बिछाई है,
खेतों-खलियानों की पकी फसल में आग लगाई है।
खेतों के रक्षक-पुत्रों को, मां ने आज जगाया है,
सावधान रहने वाले सैनिक ने बिगुल बजाया है।
पतझर को दे चुके विदाई, बुला रहे मधुमास हैं,
गाओ मिलकर गीत सभी, श्रम के देवता किसान का।
गीता और कुरान का,
पूरे हिन्दुस्तान का।
सीमा पर आतुर सैनिक हैं, केसरिया परिधान में,
संगीनों से गीत लिख रहे हैं, रण के मैदान में।
माटी के कण-कण की रक्षा में जीवन को सुला दिया,
लगे हुए गहरे घावों की पीड़ा तक को भुला दिया।
सिर्फ तिरंगे के आदेशों का निर्वाह किया जिसने,
पूजन करना है ‘हमीद’ जैसे हर एक जवान का।
गीता और कुरान का,
पूरे हिन्दुस्तान का।
खिलते हर गुलाब का सौरभ, मधुवन की जागीर है,
कलियों और कलम से लिपटी, अलियों की तकदीर है।
इसके फूल-पात पर, दुश्मन ने तलवार चला डाली,
शायद उसको ज्ञान नहीं था, जाग गया सोया माली ।
गेंदे और गुलाबों से सब छेड़छाड़ करना छोड़ो,
बेटा-बेटा जागरूक है, मेरे देश महान् का ।
गीता और कुरान का,
पूरे हिन्दुस्तान का।