1857 में 8 मार्च को न्यूयॉर्क में कपड़ा मिलों की कामकाजी महिलाओं ने अधिक वेतन व काम के घण्टे 15-16 से घटाकर 10 घण्टे करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। चुकीं यह विश्व की महिलाओं का यह प्रथम प्रदर्शन था, इस लिए इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रुक में मनाया जाता है उनकी एकता के लिए.
परन्तु उस समय के श्रम संघों ने भी नापसन्द किया। परिणामस्वरूप यह आन्दोलन असफल रहा, किन्तु यह आन्दोलन पुलिस द्वारा कुचलने के बावजूद महिला संघर्ष के इतिहास में अमिट छाप छोड़ गया।
आज नारी का स्वत:
आचार्य मायाराम ‘पतंग’
आज नारी का स्वतः सम्मान जागा है।
अस्मिता का आज फिर अभिमान जागा है।
अब निरक्षरता ने होगी शीश पर ढोनी।
हर कदम पर एक आशा की फसल बोनी ।
कर्म के पथ में अथक संधान जागा है।
अस्मिता का आज फिर अभिमान जागा है ॥
सजग होती शक्ति से संसार नत होगा।
कर्तव्य के उत्थान से अधिकार नत होगा ॥
त्याग की झंकार से बलिदान जागा है।
अस्मिता का आज फिर अभिमान जागा है।
बातियाँ ये नित्य निज तल जलाएँगी।
तम हरेंगी सत्यपथ वो जगमगाएँगी ॥
ज्योति में रवि-रश्मि का आह्वान जागा है।
अस्मिता का आज फिर अभिमान जागा है।
किरण को कोई कहीं क्या रोग पाया है ?
उसे ज्ञानाभाव ने बंदी बनाया है ।
विस्मरण में आत्मबल का ज्ञान जागा है।
अस्मिता का आज फिर अभिमान जागा है ।