अनुशासन पर दोहे

अनुशासन पर दोहे

अनुशासन पर दोहे

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अनुशासन संसार में,है जीवन का मूल।
अनुशासित रहना सदा,नहीं चुभेगी शूल।।

अनुशासन वह मंत्र है,जिससे जग उजियार।
इसके पालन से बने,सुख सुरभित संसार।।

अनुशासन जिसमें रहे,पाकर वह पहचान।
मनुज जगत के बीच में,बनता परम महान।।

जब अनुशासन हो नहीं,मानव के मनभाव।
लक्ष्य कहाँ मिलता कभी,उल्टा पड़े बहाव।।

कोहिनूर धारण करो,अनुशासन की रीति।
सफल बनो संसार में,नित्य बढ़े मन प्रीति।।
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रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.

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