6 दिसंबर स्वयंसेवक दिवस
स्वयंसेवक की बस यही पुकार.
आज हर जन बने देश की दीवार.
– मनीभाई नवरत्न की कलम से
स्वयंसेवक वे स्वैच्छिक सैनिक होते हैं जो अपनी इच्छा से किसी काम में हाथ डालते हैं और फिर उसे बखूबी निभाते हैं।
हमारे जीवन में कहीं भी, किसी भी समय किसी भी प्रकार की विपत्ति आ सकती है उस समय जानमाल की रक्षा के लिए क्षेत्रीय मानव संसाधन की जरूरत पड़ती है ऐसे समय में क्षेत्रीय एनसीसी तथा नागरिक सुरक्षा के स्वयंसेवकों की सहायता ली जाती है . वे शीघ्र सेवा तथा श्रमदान द्वारा घायलों तथा जरूरतमंदों को नाना प्रकार की सहायता युद्ध स्तर पर मुहैया कराते हैं .
विपत्ति, आपदा प्रबंधन में स्वयंसेवकों की भूमिका को देखते हुए स्वयंसेवक दिवस मनाना जागरूकता अभियान है . इससे लोगों में भाईचारे की भावना बलवती होती है एवं कर्तव्य बोध के नाते स्वयंसेवक बनने की प्रेरणा मिलती है लेकिन स्वयं सेवक बनने के लिए कुछ शर्ते आवश्यक है .
जैसे स्वयंसेवी महिला हो या पुरुष उन्हें ईमानदार, क्षमतावान , स्वस्थ, एक साथ मिलकर काम करने की आकांक्षावाला तथा आपातकाल के समय फौरन हाजिर होने में समर्थ होना जरूरी है . उन्हें कम से कम 18 वर्ष की आयु का होना तथा पढ़ना लिखना और क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान होना जरूरी है .
आजकल आतंकवादी हमले , बाढ़ , सूखा , चक्रवात और यहां तक कि युद्ध की स्थिति में भी काफी संख्या में देश को स्वयं सेवकों की जरूरत है . अतः नागरिक सुरक्षा कर्मी की भर्ती की जाती रही है और उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाता है ताकि आपदा के समय स्वयं सेवक हाजिर होकर जानमाल की रक्षा कर सकें और समाज एवं देश को आर्थिक हानि से बचा सके. कुछ ऐसे नियम एवं स्वयंसेवकों में होनी चाहिए जो विपत्ति के समय जरूरी है . जैसे- सेवा भावना ,शांत रहना, प्राथमिक चिकित्सा देने का ज्ञान आदि .
स्वयंसेवकों की यही पुकार है कि आपदा प्रबंधन के लिए बहादुर चतुर एवं स्वयं सेवक समाज एवं देश के लिए शिक्षा से आगे आएं एवं इस दिवस की सार्थकता सिद्ध करें.