परिवार (family) साधारणतया पति, पत्नी और बच्चों के समूह को कहते हैं, किंतु दुनिया के अधिकांश भागों में वह सम्मिलित वासवाले रक्त संबंधियों का समूह है जिसमें विवाह और दत्तक प्रथा स्वीकृत व्यक्ति भी सम्मिलित हैं।
रिश्तों का ख़ून – 15 मई विश्व परिवार दिवस
ख़ून के रिश्ते सम्भालो यारों, रिश्तों का ना ख़ून करो।
आप सम्पन्न हो गये हो तो, उनका दु:ख मालूम करो।
शायद हीन भावना हो उनमें, या आपसे कतराते हों।
या सीधेपन का फायदा उठा उन्हें कोई भड़काते हों।
ख़ून के रिश्ते अपने होते, वो रिश्तेदार तुम्हारा है।
ईर्श्या, नफ़रत मत पालो, ख़ून आखिर तुम्हारा है।
भाई हो आर्थिक कमजोर, हाथ उसका थाम लो।
तुम अगर सक्षम हो तो, ईश्वर की मर्जी मान लो।
माना कुछ गलतफहमियां, आपस में हो ही जाती हैं।
दु:ख तकलीफ़ में आख़िर याद आप ही की आती है।
अपनों के होते अपने दूसरों के आगे हाथ फैलाते है ।
तो अपने साथ आपकी भी इज्जत पे बट्टा लगाते है।
अनाथालयों में दान करो और अपना भूखा सोता है।
बहन तंगहाल जीवन जीती, उसका परिवार रोता है।
संस्थाओं में धन दान करो, भाभी के घर ना आटा है।
ईश्वर क्या तुमसे खुश होगा, वही तो सबका दाता है।
ख़ून के रिश्तों की मदद करो, यही फर्ज तुम्हारा है।
उनसे ईर्श्या द्वेश, भाव करो तो पतन भी तुम्हारा है।
रिश्तों का ख़ून मत करो, रिश्तों से पहचान होती है।
गले लगाकर देखो तो, रिश्तों में अपनायत होती है।
राकेश सक्सेना