Tag: #राकेश सक्सेना
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आकर्षण या प्रेम पर कविता
आकर्षण या प्रेम मीरा होना आसान नहीं,ज़हर भी पीना पड़ता है।त्याग, प्रेम की परिभाषा,जीवंत निभाना पड़ता है।। हीर रांझा, लैला मंजनू,अब नहीं कहीं मिलते हैं।दिल…
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होली पर कविता
होली पर कविता होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। प्राचीन काल में लोग चन्दन और गुलाल…
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शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि – राकेश सक्सेना
शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि – राकेश सक्सेना बापू तुम जब चले गये, पीछे बहुत बवाल हुआ।आजादी के बाद देश में, रह रह कर सवाल हुआ।।…
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बाल हृदय -राकेश सक्सेना
बाल हृदय हर इंसान के दिल में बसता है। बाल हृदय उम्र का मोहताज नहीं होता। उसे हर उम्र में जिंदा रखना ही बाल दिवस…
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समाज का श्रृंगार- राकेश सक्सेना
एक बेटी की करूणा जो अपने जन्म पर अपराधी सा महसूस करती अपनी मां को धैर्य बंधाती है
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कन्या पूजन या भ्रूणहत्या -राकेश सक्सेना
प्रस्तुत कविता का शीर्षक – “कन्या – पूजन या भ्रूण हत्या” समाज के उन लोगों से सवाल है जो एक तरफ तो देवी स्वरूपा कन्या…
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रिश्तों का ख़ून – 15 मई विश्व परिवार दिवस विशेष कविता
ख़ून के रिश्ते सम्भालो, रिश्तों का ना ख़ून करो।। परिवार – सिर्फ पति-पत्नी और एक-दो बच्चों से ही नहीं बल्कि परिवार पूरा खानदान होता है।…
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चादर जितने पांव पसारो – राकेश सक्सेना
इंसान को हैसियत को समझ कर ही कार्य करना चाहिए चादर जितने पांव पसारो घर घर की कहानी
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कठपुतली मात्र हैं हम
जीवन में कुछ कहावतें, बातें कभी कभी हास्यास्पद सी लगती हैं