यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर0 राकेश सक्सेना के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

आकर्षण या प्रेम पर कविता

आकर्षण या प्रेम मीरा होना आसान नहीं,ज़हर भी पीना पड़ता है।त्याग, प्रेम की परिभाषा,जीवंत निभाना पड़ता है।। हीर रांझा, लैला मंजनू,अब नहीं कहीं मिलते हैं।दिल में दिमाग उगे सबके,प्रेम का…

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गणतंत्र दिवस पर कविता

गणतंत्र दिवस पर कविता : गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था।…

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होली पर कविता

होली पर कविता होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। प्राचीन काल में लोग चन्दन और गुलाल से ही होली खेलते थे।…

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शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि – राकेश सक्सेना

शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि - राकेश सक्सेना शहीद, indian army बापू तुम जब चले गये, पीछे बहुत बवाल हुआ।आजादी के बाद देश में, रह रह कर सवाल हुआ।।हे बापू तुमने…

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बाल हृदय -राकेश सक्सेना

बाल हृदय हर इंसान के दिल में बसता है। बाल हृदय उम्र का मोहताज नहीं होता। उसे हर उम्र में जिंदा रखना ही बाल दिवस है।

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समाज का श्रृंगार- राकेश सक्सेना

एक बेटी की करूणा जो अपने जन्म पर अपराधी सा महसूस करती अपनी मां को धैर्य बंधाती है

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कन्या पूजन या भ्रूणहत्या -राकेश सक्सेना

प्रस्तुत कविता का शीर्षक - "कन्या - पूजन या भ्रूण हत्या" समाज के उन लोगों से सवाल है जो एक तरफ तो देवी स्वरूपा कन्या का पूजन करते हैं वहीं अपने परिवार में बेटी होने का दुःख मनाते हैं। इसी विषय वस्तु को आधार मानकर रची गई है।

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रिश्तों का ख़ून – 15 मई विश्व परिवार दिवस विशेष कविता

ख़ून के रिश्ते सम्भालो, रिश्तों का ना ख़ून करो।। परिवार - सिर्फ पति-पत्नी और एक-दो बच्चों से ही नहीं बल्कि परिवार पूरा खानदान होता है। हमारे खून के रिश्ते ही मिलकर एक परिवार बनता है - राकेश सक्सेना

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चादर जितने पांव पसारो – राकेश सक्सेना

इंसान को हैसियत को समझ कर ही कार्य करना चाहिए चादर जितने पांव पसारो घर घर की कहानी

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