भोर वंदन- नवनिर्माण करें

भोर वंदन-नवनिर्माण करें

कविता संग्रह
कविता संग्रह


====लावणी छन्दगीत 16,14 पदांत 2====

सत्य सर्वदा अपनाएँ हम, न्योछावर निज प्राण करें।…
राम राज्य आधार शिला ले,आओ नवनिर्माण करें।।…

सत्य विकल तो हो सकता है, नहीं पराजय अंत मिले।
झूठी चादर ओढ़े कलयुग, जयचंदों सह संत मिले।।
कुपित मौलवी और पादरी, भ्रष्टाचारी पंत मिले।
विषमय रक्त प्रवाहित होता, दंश मनुज के दंत मिले।।

उदाहरण हम बन सामाजिक, जनहित में कल्याण करें।…
राम राज्य आधार शिला ले,आओ नवनिर्माण करें।।…

सद्भावों की करें कल्पना, सज्जनता पहचान रखें।
चकाचौंध से परे रहें हम, साधारण परिधान रखे।।
घने तिमिर को चीर बढ़ो तुम, लक्ष्य सदा संधान करें।
बुद्ध विवेका अनुगामी हम, आशान्वित हैं संतान करें।।

वेद ऋचाएँ पथ दिखलाते, अध्यन नित्य पुराण करें।…
राम राज्य आधार शिला ले,आओ नवनिर्माण करें।।…

पथिक सत्यपथ जो चलता है,धन्य प्रेरणा स्रोत बने।
संत सुधारक पंथ अँधेरे, स्वयं जलाकर ज्योत बने।।
तजें तामसिक दुर्गुण सारे, सत्य देहरी द्वार धरे।
विषम क्षणों में अड़िग रहे हित, संदेशा संचार करे।।

कर्म संगणक सच्चा भगवन, मूढ़ मृदुल निर्वाण करें।…
राम राज्य आधार शिला ले,आओ नवनिर्माण करें।।…

==डॉ ओमकार साहू मृदुल 19.07.21==

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *