राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्र, रामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।

रामायण के पात्रों पर दोहा / ओमकार साहू
1. *श्री राम*
मर्यादा प्रतिबिंब श्री, राम चन्द्र अवधेश।
रघुवर दीनानाथ का, अनुयायी यह देश।।
2. *सीता*
विषम काल में साथ दें, माँ सीता का ज्ञान।
पति चरण को मानती, प्रथम पूज्य भगवान।।
3. *लक्ष्मण*
भ्रात प्रेम में लीन जो, सेवा का पर्याय।
ज्येष्ठ नात हो राम सम, नहीं भ्रमण अभिप्राय।।
4. *हनुमान*
भक्त शिरोमणि पूजते, सर्वप्रथम हनुमान।
दास कृपा श्री राम की, भक्त बने भगवान।।
5. *भरत*
राज्य संपदा त्याग के, साथ सगे के आप।
नूतन कर दी स्थापना, भ्रात प्रेम परिमाप।।
6 *दशरथ*
सोच समझ कर दीजिए, शपथ वचन वरदान।
लोभी लीला लालसा, अवनति की पहचान।।
7 *कैकेयी*
कुटिल मंथरा बोलती, साध सुखी निज स्वार्थ।
मातु कलंकित जग भयी, लज्जित कर चरितार्थ।।
8 *शबरी*
माता शबरी भीलनी,अटल प्रेम के साथ।
द्रवित प्रेम को देखकर, भावुक दीनानाथ।।
9 *रावण*
अतुलित बल अभिमान ले, छ्द्मी चाल चरित्र।
अहंकार को तोड़ती, अबला आन पवित्र।।
10 *विभीषण*
लंकापति के राज में, बहुधा थे प्रतिकूल।
राम भक्ति की भावना, अंक किया अनुकूल।।