भगत सिंह पर कविता
28 सितंबर सन् 1907 को
भारत की धरती पर,
एक लाल ने जन्म लिया ।
माता विद्यापति की
आंखों का तारा ,
पिता का अरमान था ।
दादी ने उसका
‘भागो’ रखा नाम था,
फौलादी थी बाहें उसकी ।
जिसके सिर पर
केसरिया बाना था ,
दूर फिरंगी को करने का
इरादा मन में ठाना था ।
बांध कफन अपने सर पर
सैंडर्स की हत्या की ,
दिल्ली केंद्रीय मंत्रालय में
बम विस्फोट की घटना की ।
गद्दार फिरंगी के खिलाफ
खुले विद्रोह को बुलंदी दी ,
राजगुरु ,सुखदेव के साथ
फांसी की सजा हुई ।
फांसी की रस्सी को
हिंदे वतन का हार समझ ,
सो गया जय हिंद का उद्घोषक,
अमरत्व उसको प्राप्त हुआ।
नाज़ शहीद-ए-आजम पर
नाज पंजाब की धरती पर
जिसने वीर सपूत को जन्म दिया।
जब तक भारत की धरती पर
सूरज और चांद रहेगा ,
अमर रहेंगे भगत सिंह
अमर उनका नाम रहेगा।
चारूमित्रा