स्वागत समारोह गीत /कविता

[1]

उल्लास भरे दिल से

० सौजन्य-प्रतिभा गोयल

उल्लास भरे दिल से हम स्वागत करते हैं

आंगन में बहार आई, औ’फूल बरसते हैं।

उल्लास भरे दिल से…..

ल पलकों से है प्रियवर, यह पंथ हमारा है।

अरमान भरे दिल में, हम खुशियाँ मनाते हैं ।।

उल्लास भरे दिल से.

घड़ियाँ ये सुहानी हैं, खुशियों का आलम है ।

श्रद्धा के फूलों से हम पूजन करते हैं।

उल्लास भरे दिल से…

उम्मीद के धागों से, पलकों को सँवारा है।

टूटे ना कभी धागा, यकीन हम करते है।

उल्लास भरे दिल से

आंचल में अंबर के जब तक सूरज-चाँद-सितारे हैं।

नए खून में जब तक दम है, तब तक हम अंगारे हैं।

[2]

अभिनन्दन स्वागत सत्कार

० सौजन्य-प्रतिभा गोयल

अभिनन्दन स्वागत सत्कार…..

नई कलियों से आएगी

प्रगति की नई बहार ।

अभिनन्दन स्वागत सत्कार…..

पूर्व दिशा में आया सूरज,

स्वर्णिम किरणें लेकर ।

पंछी चहके हैं स्वागत में

गूँजे युक्त मधुर स्वर ।

नवप्रभात की नई किरण में

होगा स्वप्न साकार ।।

अभिनन्दन स्वागत सत्कार…..

नील गगन में उड़ते बादल

स्वागत करते अपार ।

अपने आंचल के जल में

ली अंजलि भर बरसाये ।

ये मोती ही लाएँगे अब

नवगति औ’ नव विचार ॥

अभिनन्दन स्वागत सत्कार…..

हिमगिरी का हृदय पिघला

बन कर निर्मल धारा।

मरुभूमि में अंकुर फूटे

सरसाया थल सारा।

नव युग के नव अंकुर

रचें भावी नव संसार ||

अभिनन्दन स्वागत सत्कार……..

[3]

भल आया, भूल आया

0 सौजन्य — प्रतिभा गोयल

भल आया, भूल आया

भल आया, मेहमान अठे रे,

एक बधावो म्हे गास्यां जी।

आता जाता अठे सो रईजो,

भूल मती ना जाईजो। ओ…..

क याद करा जद दौड़ियां दौड़ियां,

बेगां बेगा आईजो ॥

भल आया, भूल आया…….

लो फूलड़ां रो हार पेरावां

गढ़े मन री आशा। ओ…

घणी करां मुनवारां थाणी

घणी करा अभिलाषा ॥

कि भल आया, भूल आया……

फल-फूलण री दो आशीसां

म्हे थासूं आ चावां । ओ…..

धिन घड़ी धिन भाग सरावां

आगे बढ़ता जावां ॥ ओ…

भल आया, भूल आया….

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *