yog

योग भगाये रोग / कंचन कृतिका

कंचन कृतिका की कविता “योग भगाये रोग” योग के शारीरिक और मानसिक लाभों को उजागर करती है। इस कविता में योग के महत्व और उसके द्वारा रोगों के निवारण का वर्णन किया गया है। कवि ने योग को एक चमत्कारी उपाय के रूप में प्रस्तुत किया है, जो न केवल शारीरिक बीमारियों से छुटकारा दिलाता है बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है।

योग भगाये रोग/ कंचन कृतिका

yog divas
21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 June International Yoga Day

आलस्य त्याग पूर्व ही,
सूर्योदय से उठ जाएँ!
यौगिक क्रियाकलापों से,
तन को सक्रिय बनाएँ!!
पीकर गुनगुना जल,
निपटकर नित्यक्रिया से!
करें आत्मशुद्धि के उपाय,
शारीरिक अनुक्रिया से!!
सभी आसनों में है,
प्रमुख सूर्य नमस्कार!
देता है नई स्फूर्ति,
मिट जाते सभी विकार!!
चित्त प्रवृत्ति को जकड़,
प्रकृति से नाता जोड़ें!
होगा अनुलोम-विलोम,
सांस को खींचकर छोड़ें!!
मुद्रासन नित्य करें यदि,
बढ़ेगी चेहरे की कान्ति!
ओंकार उद् घोष से,
मिलती है मन को शान्ति!!
होगा मोटापा कम!
सर्वांगासन रोज लगाएँ!
जकड़न हो हाथ- पैर में,
तो स्वस्तिकासन अपनाएँ
गुंजित करें परिवेश,
भ्रामरी ध्यान लगाकर!
नेत्र की ज्योति बढ़ाएँ
त्राटक अपनाकर!!
दिनभर के ताजगी की है,
यह सबसे सुन्दर युक्ति!
लगायें संध्या ध्यान,
मिलेगी अनिद्रा से मुक्ति!!
स्वस्थ रहे हर जन,
है प्राणायाम का मर्म!
नित ही करके अभ्यास,
रखें खुद पर हम संयम!!
है सर्वथा अनुकूल,
वेदों नें भी समझाया!
योग… भगाये रोग,
रखे निरोगी काया!!

कंचन कृतिका

योग भगाये रोग” कविता में कवि कंचन कृतिका ने योग के अद्वितीय लाभों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। कविता में योग के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने का संदेश दिया गया है। कवि ने यह स्पष्ट किया है कि नियमित योग अभ्यास से न केवल शारीरिक बीमारियों का निवारण होता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्राप्त होता है। यह कविता पाठकों को योग के प्रति जागरूक करने और इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाने की प्रेरणा देती है।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *