हां मै कवि हूं
जीने की राह दिखाता हूं।
अपनी लेख से,
लोगो को जगाता हूं।
हा मै कवि हूं………
रूठे मन को मनाता हूं।
हास्य कविता लिखकर
आम जनों को हसाता हूं।
हां मै कवि हूं………
कभी प्रकृति सौंदर्य।
कभी श्रृंगार रस पर,
नारी का वर्णन करता हूं।
हां मै कवि हूं………
अदम्य पराक्रम ।
साहसी वीरता पर,
सैनिकों की गाथा लिखता हूं।
हां मै कवि हूं………
रंग बिरंगी होली ।
दिवाली की उजियारे पर,
त्योहारों पर लिखता हूं।
हां मै कवि हूं………
मेरी इन जिज्ञासा ।
मानव जीवन जगाने की,
कोहिनूर की कलम से लिखता हूं।
हां मै कवि हूं………
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ.ग.)
8120587822
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद
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