श्रीराम स्तुति / लक्ष्मीकान्त शर्मा ‘रुद्रायुष’

राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्ररामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मणभरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।

shri ram hindi poem.j

श्रीराम स्तुति / लक्ष्मीकान्त शर्मा ‘रुद्रायुष’

कारुण्य रूप जनार्दनम राजीवलोचन सुन्दरं।
आजानबाहु किरीट मस्तक राम रूप पुरन्दरं

जय राम हे सीतापते जय राम दैत्य निकन्दनं।
जय राम जानकिवल्लभं भजु राम दशरथनन्दनं।।१।

रघुनंद है आनंद सागर उज्ज्वला मुखमण्डलं।।
गल विजयमाल चक्षुविशाल स्रवन शोभित कुण्डलं।

कमलापते दामोदरा हे माधवः ! सुखदायकं।
भजेहु दीनदयाल राघव वेदविद जगनायकं।।२।।

सत्कीर्ति: गरुड़ध्वज: अमिताशनः परमेश्वरः।
भुजगोत्तम: पुरुषोत्तम: संवत्सर: सर्वेश्वर:।

महावीर्य सुतपा पद्मनाभ: संवृता: धरणीधरः।
नक्षत्रनेमि समीहनः सत लक्ष्मीकान्त महीधरः।।३।।

कनकाङ्गदि संकर्षणोच्युत पुष्कराक्ष महामनः।
पारायणं सन्यासकृत अनिरुद्ध कुम्भ विशोधनः।

निर्गुण: प्रपितामह विभु शोकनाशन अर्चित:।
रविलोचन: शारंगधन्वा आत्मयोनि: गोहितः।।४।

घट-घट बसे मुनिसत्तमं आदिपुरुष रघुनायकं।
नर रूप में पति भूमिजा पापोघ मुक्ति दायकं।

श्यामाङ्ग सुन्दर पुण्योदय आदर्श के प्रतिमान हो।
सद्बुद्धि का वर दो हमें तुम सर्वशक्तिमान हो।।५।।

प्रज्वलित हो ज्ञान ज्योति सब जन उतारें आरती।
चहुँ ओर सुख सरिता बहे समृद्ध हो माँ भारती।

हे राम!हे गोविंद! अच्युत ! हमको भी पहचान दो।
दुर्बुद्धि का निस्तार हो प्रभु भक्ति का वरदान दो।।६।।


लक्ष्मीकान्त शर्मा ‘रुद्रायुष’©️
देवली,विराटनगर,जयपुर,राज०303102

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *