आतंक पर कुण्डलिया

आतंक पर कुण्डलिया

जल जंगल अरु अवनि पर ,
                            नर का है आतंक ।
नंगा   होकर   नाचता ,
                            कल का गंगू रंक ।।
कल  का  गंगू  रंक ,
                       नगर का सेठ कहाता ।
मानवता कर कत्ल ,
     ..                 लहू से रोज नहाता ।।
कह ननकी कवि तुच्छ ,
                       मची आपस में दंगल ।
धरती  के  ये  तत्व ,
                   बिलखते हैं जल जंगल ।।

                 ~  रामनाथ साहू ” ननकी “
               मुरलीडीह , जैजैपुर (छ. ग. )
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कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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