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विश्व मानवाधिकार दिवस पर कविता

विश्व मानवाधिकार दिवस पर कविता

मिले कई अधिकार, जीवधारी को जग में|
कुछ हैं ईश प्रदत्त, बने उपयोगी पग में |
जीने का अधिकार, जगत में सबने पाया |
भोजन पानी संग, भ्रमण का हक दिलवाया |
अपने मन का नृप बने, जीव सभी इनसंसार में |
अधिकारों का कर हनन, मस्त रहे व्यवहार में ||

अधिकारों कीइन 5 बात, समझता जो बोया है |
हक का पाकर नूर, भला किसने खोया है |
करते भाषण खूब, गिनाते अधिकारों को |
भूले निज कर्तव्य, भूलते आधारों को |
एक दूसरे से जुड़े, जाल बना संसार रुचि |
पृथक नहीं कर्तव्य से, कोई भी अधिकार रुचि ||

तुमको है अधिकार, चलाये अपना सिक्का |
पहन राज का ताज, चलाये अपना इक्टी का |
नामंजूरी कौन, करे अब आगे तेरे |
मिले तुझे वर्चस्व, मिला कानूनी घेरे |
इस सत्ते ऊपर बना, सच्ची सत्ता ईश का |
जो अंतिम सर्वोच्च है, न्याय तंत्र जगदीश का |

सुकमोती चौहान रुचि

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