मतदाता पर कुण्डिलयाँ

मतदाता पर कुण्डिलयाँ??

भाग्य विधाता

भाग्य विधाता देश का, स्वयं आप श्रीमान।
मिला वोट अधिकार है, करिये जी मतदान।।
करिये जी मतदान, एक मत पड़ता भारी।
सभी छोड़कर काम, प्रथम यह जिम्मेदारी।।
कहे अमित यह आज, नाम जिनका मतदाता।
मिला श्रेष्ठ सौभाग्य, आप ही भाग्य विधाता।।

मतदाता

मतदाता मत डालिए, लोकतंत्र की शान।
वोट डालना आपको, शक्ति स्वयं पहचान।।
शक्ति स्वयं पहचान, हृदय में अलख जगाएँ।
चीख रहा जनतंत्र, राष्ट्र हित कर्म निभाएँ।।
कहे अमित कविराज, देशहित के अनुयाता।
शत प्रतिशत मतदान, कीजिए अब मतदाता।।

कन्हैया साहू ‘अमित’✍

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

Leave a Reply