आया है मधुमास- कुण्डलियाँ
आया है मधुमास*भँवरे गुंजन कर रहे, आया है मधुमास।**उपवन की शोभा बनें, टेसू और पलाश।**टेसू और पलाश, संग में चंपा…
कविता
कुण्डलियाँ छंद दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में 24 मात्राएँ होती है।