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यौवन पर हिन्दी कविता ( युवा दिवस विशेष )

स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद

यौवन पर हिन्दी कविता

यौवन तो ढलता सदा , मान यही है सार ।
लौट नहीं आता कभी , बीते पल जो चार ।।
बीते पल जो चार , कर्म सत करिए प्यारे ।
वृद्धावस्था रोग , सताए हिम्मत हारे ।।
नियति कहे कर जोड़, पुष्ट होता है तन-मन ।
इसी उम्र में साध , सफल होगा फिर यौवन ।।

यौवन में सोया बहुत , मौज किया दिन रैन ।
जरा देख घबरा गया , उड़े नींद अरु चैन ।।
उड़े नींद अरु चैन , याद बीते पल आये ।
थर-थर काँपे देह , आज बेहद पछताये ।।
नियति कहे कर जोड़ , जोड़ता केवल क्यों धन ।
साथ रहे सत्कर्म , गँवाया नाहक यौवन ।।

यौवन वस्था ही कहे , योग्य साधना साध्य।
संत विवेकानंद ने , प्राप्त किया आराध्य ।।
प्राप्त किया आराध्य, कठिन तप जीवन धारे ।
देश भक्ति पर जान , संत ने अपने वारे ।।
नियति कहे कर जोड़ , याद करता सौ योजन ।
जन्म करें साकार , सहेजें मानव यौवन ।।

नीरामणी श्रीवास नियति
कसडोल छत्तीसगढ़

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