भ्रूणहत्या-कुण्डलिया छंद


भ्रूणहत्या-कुण्डलिया छंद

साधे बेटी मौन को, करती  एक गुहार।
जीवन को क्यों छीनते ,मेरे सरजनहार।
मेरे सरजनहार,बतायें गलती मेरी।
कहँ भू पर गोविंद , करे जो रक्षा  मेरी।
“कुसुम”कहे समझाय  , पाप   जीवन भर काँधे।
ढोवोगे दिन रैन ,दुःख यह मौनहि  साधे।

पुष्पा शर्मा “कुसुम”

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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